नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासी श्रमिकों के साथ कथित भेदभाव, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे तथा छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के पंद्रह मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
उच्च सदन में हंगामे की वजह से आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया।
बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने दिव्या देशमुख को फिडे महिला शतरंज विश्व कप 2025 जीतने के लिए बधाई दी और कहा कि उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है।
इसके बाद उन्होंने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। फिर उपसभापति ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत 24 नोटिस मिले हैं जिनमें नियत कामकाज स्थगित कर बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासी श्रमिकों के साथ कथित भेदभाव, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे तथा छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की गई है।
संदीप पाठक, मोहम्मद नदीमुल हक, रंजीत रंजन, शक्ति सिंह गोहिल, मुकुल वासनिक, रजनी अशोक राव पाटिल, डॉ सैयद नासिर हुसैन, नीरज डांगी, अखिलेश प्रसाद सिंह, रणदीप सिंह सुरजेवाला, राजीव शुक्ला, साकेत गोखले, सुष्मिता देव और मनोज कुमार झा ने एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था।
अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासी श्रमिकों के साथ कथित भेदभाव के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए रीताव्रता बनर्जी, सागरिका घोष ने नोटिस दिया था। इनके अलावा ए ए रहीम, डॉ जान ब्रिटास, संदोष कुमार पी, जे बी माथेर हीशम, हारिस बीरन और जोस के मणि के नोटिस में छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर चर्चा की मांग की गई थी।
रामजी लाल सुमन ने उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफा दिए जाने के मुद्दे पर तथा डॉ वी शिवदासान ने अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया था।
उपसभापति ने कहा कि ये नोटिस पीठ द्वारा पूर्व में दी गई व्यवस्था के अनुरूप नहीं हैं, इसलिए इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता।
नोटिस स्वीकार नहीं किए जाने पर विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया और हंगामा करने लगे। उन्होंने ‘वोट की चोरी बंद करो’ जैसे नारे लगाए।
हरिवंश ने सदस्यों से अपील की कि वे सदन को सुचारु रूप से चलने दें ताकि शून्यकाल के दौरान सांसद अपने मुद्दे उठा सकें। उन्होंने कहा ‘‘कई दिनों से शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं चलने दिया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा कि आजादी के 50 साल बाद संसद में संकल्प लिया गया था जिसमें सभी सांसद शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि संकल्प में कहा गया था कि जनहित में कदम उठाए जाएंगे और शून्यकाल और प्रश्नकाल को चलने दिया जाएगा। उन्होंने कहा ‘‘ यह सदस्यों तथा आम लोगों के हित में हैं।’’
हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से सवाल किया कि क्या आप लोग शून्यकाल और प्रश्नकाल में दिलवस्पी नहीं रखते।
उन्होंने अपने स्थानों से आगे आ कर हंगामा कर रहे सदस्यों से अपनी सीट पर वापस जाने और शून्यकाल चलने देने की अपील की। हंगामा थमते न देख उन्होंने 11 बजकर 14 मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया।
इससे पहले उपसभापति ने बताया कि सदन के सदस्य हरभजन सिंह ने 21 जुलाई से छह अगस्त तक अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण सदन की बैठक में शामिल होने में असमर्थता जताई है। सदन ने सिंह को अवकाश की अनुमति दे दी।
संसद के मानसून सत्र की शुरूआत 21 जुलाई को हुई और तब से ही सदस्य बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। उनके हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही पिछले सप्ताह लगातार बाधित रही और सदन में एक बार भी शून्यकाल, प्रश्नकाल एवं अन्य विधायी कामकाज सामान्य ढंग से नहीं हो पाया।
भाषा
मनीषा माधव
माधव