नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौते से घरेलू नियामकीय एजेंसियों द्वारा प्रमाणित चिकित्सा उपकरणों के लिए ब्रिटिश बाजार में पहुंच आसान होगी। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ऐसे उत्पादों के प्रवेश को आसान बनाने के लिए एक पारस्परिक मान्यता समझौते की रूपरेखा इसमें शामिल की गई है।
यह रूपरेखा भारतीय निर्माताओं को चीन, ब्राजील और वियतनाम जैसे अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले ब्रिटेन में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘मुक्त व्यापार समझौते में एक पारस्परिक मान्यता समझौते की रूपरेखा शामिल है, जो केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) या भारतीय चिकित्सा उपकरण प्रमाणन (आईसीएमईडी) द्वारा प्रमाणित चिकित्सा उपकरणों को ब्रिटेन के बाजार में अधिक स्वतंत्र रूप से प्रवेश की अनुमति देती है।’’
चिकित्सा उपकरणों का ब्रिटेन को शून्य शुल्क पर निर्यात किया जाएगा, जबकि इस समय शुल्क सीमा 2-6 प्रतिशत के बीच है। इससे सर्जिकल और नैदानिक उपकरणों के भारतीय विनिर्माताओं को लाभ होगा।
अधिकारी ने बताया कि 2024 में ब्रिटेन के चिकित्सा उपकरण बाजार का मूल्य 32 अरब अमेरिकी डॉलर था और 2035 तक 7.19 प्रतिशत की दर से बढ़कर यह 69 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। ऐसे में यह भारतीय चिकित्सा उपकरण विनिर्माताओं के लिए एक बड़ा अवसर है।
सीडीएससीओ और एमएचआरए (मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी) के बीच एक द्विपक्षीय नियामकीय सहयोग ढांचे पर भी काम किया जाएगा, जो एक पारस्परिक मान्यता समझौते (एमआरए) का रूप ले सकता है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘इस समझौते में भारतीय और ब्रिटिश नियामकों के बीच संयुक्त निरीक्षण, डेटा साझाकरण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के प्रावधान शामिल होंगे।’’
उन्होंने कहा कि इससे नियामकों के बीच भरोसा पैदा करने में मदद मिलेगी और हमारे निर्यात के लिए बाजार पहुंच बढ़ेगी।
भाषा पाण्डेय अजय
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