मुंबई, 29 जुलाई (भाषा) तेज प्रतिस्पर्धा का दबाव और अल्पकालिक सफलता की चाहत कुछ बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को अनैतिक तरीके अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर (डीजी) स्वामीनाथन जे ने यह बात कही।
उन्होंने पिछले शुक्रवार को तमिलनाडु के करूर में निजी क्षेत्र के करूर वैश्य बैंक के स्थापना दिवस समारोह में कहा कि ऐसे ऋणदाताओं के प्रबंधन को लगता है कि ‘‘साध्य साधन को सही ठहराता है।’’
उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की प्रथाओं से बैंकिंग प्रणाली की अखंडता में जनता का भरोसा कम होने का खतरा है।
डिप्टी गवर्नर ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘तेज प्रतिस्पर्धा का दबाव और अल्पकालिक सफलता की चाहत से प्रेरित होकर, कुछ बैंकों और एनबीएफसी के प्रबंधन का मानना है कि साध्य साधन को सही ठहराता है।’’
केंद्रीय बैंक ने यह भाषण मंगलवार को अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया।
उन्होंने कहा कि कुछ ऋणदाता रचनात्मक लेखांकन और नियमों की उदार व्याख्या जैसी प्रथाओं का सहारा ले रहे हैं, और कुछ बोर्डरूम में अपर्याप्त आंतरिक नियंत्रणों को सामान्य बनाया जा रहा है।
वाणिज्यिक बैंकर से नियामक बने स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘बोर्डरूम से लेकर शाखा तक, नैतिक प्रथाओं से जुड़ी और उनमें निहित प्रणालियों, लोगों और प्रक्रियाओं के साथ वृद्धि महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा कि बैंक बोर्ड और प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वे उत्तरदायी सेवा, विश्वसनीय प्रणालियों और जिम्मेदार नेतृत्व के जरिये कड़ी मेहनत से हासिल भरोसे को और मजबूत करें।
भाषा पाण्डेय अजय
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