नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दायर मानहानि मामले में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को सुनाई गई सजा को मंगलवार को बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति शालिंदर कौर ने कहा कि अधीनस्थ अदालत के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इसी आदेश के खिलाफ पाटकर ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
न्यायमूर्ति कौर ने कहा, “इस अदालत को (अधीनस्थ अदालत के) आदेश में कुछ भी अवैध नहीं मिला और फैसले में किसी भी तरह के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए इसे (अपील को) खारिज किया जाता है।”
सक्सेना ने यह मामला 23 साल पहले दायर किया था, जब वह गुजरात में एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के प्रमुख थे।
भाषा नोमान पारुल
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