नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने राजधानी में बैंकिंग, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और गैस आपूर्ति को सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के दायरे में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। राज निवास के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उपराज्यपाल के इस फैसले से इन क्षेत्रों से जुड़े विवादों का निपटारा स्थायी लोक अदालतों के जरिये तेजी से और सुलभ तरीके से किया जा सकेगा।
दिल्ली सरकार के विधि विभाग की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया था कि बैंकिंग और एनबीएफसी क्षेत्रों से जुड़े ऋण, वित्तीय वसूली, निवेश, सेवाओं की गुणवत्ता और बिलिंग जैसे मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
दिल्ली सरकार ने कहा था कि ऐसे विवादों को पारंपरिक अदालतों की बजाय यदि सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के अंतर्गत लाकर स्थायी लोक अदालतों में लाया जाए तो समय और खर्च की बचत होगी।
एक अधिकारी ने बताया कि इन सेवाओं को सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के दायरे में लाने से न्याय प्रक्रिया अधिक सरल, किफायती और शीघ्र होगी, जिससे आम नागरिकों को राहत मिलेगी।
फिलहाल दिल्ली में तीन स्थायी लोक अदालतें बिजली संबंधी विवादों के समाधान के लिए कार्यरत हैं।
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण परिवहन, डाक, दूरसंचार, जल आपूर्ति, सार्वजनिक स्वच्छता, स्वास्थ्य और बीमा जैसी सेवाओं से संबंधित मामलों के समाधान के लिए एक अन्य स्थायी लोक अदालत के गठन की प्रक्रिया में है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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