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Wednesday, July 30, 2025

मुंबई में सड़क परियोजना के लिये बीएमसी की पेड़ काटने की अर्जी पर विचार करे वृक्ष प्राधिकरण: न्यायालय

Newsमुंबई में सड़क परियोजना के लिये बीएमसी की पेड़ काटने की अर्जी पर विचार करे वृक्ष प्राधिकरण: न्यायालय

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन को आवश्यक बताते हुए वृक्ष प्राधिकरण को गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड (जीएमएलआर) परियोजना के लिए मुंबई की फिल्म सिटी में 95 पेड़ों को काटने की बीएमसी की याचिका पर निर्णय लेने की अनुमति दे दी।

प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो महत्वाकांक्षी जीएमएलआर परियोजना के लिए जिम्मेदार है। बीएमसी ने शीर्ष अदालत से परियोजना के पहले चरण के वास्ते पेड़ों को गिराने की अनुमति मांगी थी।

जीएमएलआर परियोजना में मुलुंड और गोरेगांव के बीच यात्रा समय को लगभग एक घंटे तक कम करने के लिए वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे तक सड़क संपर्क विकसित करने की परिकल्पना की गई है।

बीएमसी का कहना है कि सुरंग खोदने के काम के लिए ‘टनल बोरिंग मशीन’ (टीबीएम) चलाने और ‘शाफ्ट’ (हवा के प्रवाह और आपातकालीन निकास के लिये) खोलने के लिए इन 95 पेड़ों को काटना आवश्यक है।

वृक्ष प्राधिकरण ने आवेदन में कहा कि गड्ढे खोदने के लिए जमीन की जगह को साफ करना आवश्यक है और इस प्रक्रिया में एक निश्चित संख्या में पेड़ों को काटना आवश्यक है।

बीएमसी ने शीर्ष अदालत के 10 जनवरी के आदेश को ध्यान में रखते हुए याचिका दायर की है। शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को बीएमसी के वृक्ष प्राधिकरण को निर्देश दिया था कि वह मुंबई की आरे कॉलोनी में उसकी अनुमति के बिना और पेड़ों की कटाई की अनुमति न दे।

बीएमसी ने कहा कि जिस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है, वह फिल्म सिटी के अंतर्गत आता है, आरे कॉलोनी के अंतर्गत नहीं, फिर भी उसने अत्यधिक सावधानी बरतते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा,‘‘निःसंदेह, पर्यावरण संरक्षण महत्वपूर्ण है और इस न्यायालय ने कई निर्णयों में अंतर-पीढ़ीगत समता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार किया है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘लेकिन विकास को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता… बुनियादी ढांचे का विकास भी जरूरी है। जब तक उचित बुनियादी ढांचा तैयार नहीं होगा, देश प्रगति नहीं कर सकता।’’

पीठ ने बीएमसी को वनरोपण योजना के साथ-साथ इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा।

पीठ ने स्पष्ट किया कि उसकी पूर्व अनुमति के बिना कोई भी पेड़ नहीं काटा जा सकता। शीर्ष अदालत ने बीएमसी की याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की।

भाषा

राजकुमार प्रशांत

प्रशांत

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