नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) कांग्रेस नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि ऑपरेशन सिंदूर सफल रहने के बाद संघर्षविराम पर सहमति क्यों दी गयी?
राज्यसभा में ‘‘पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के मजबूत, सफल एवं निर्णायक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा’’ में भाग लेते हुए चिदंबरम ने यह प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा किंतु समय ही बतायेगा कि यह निर्णायक था या नहीं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सशस्त्र बलों के दृढ़ और मिसाल योग्य नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के परिणाम, यदि आप मुझसे पूछेंगे कि क्या ऑपरेशन सिंदूर मजबूत था, मैं कहूंगा कि हां। क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल था, मैं कहूंगा कि हां। यदि आप मुझसे पूछेंगे कि क्या यह निर्णायक था तो मैं यही कह सकता हूं कि समय बताएगा।’’
पूर्व गृह मंत्री ने प्रश्न किया कि जब पाकिस्तान के विरूद्ध ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा तो भारत ने संघर्षविराम पर सहमति क्यों जतायी।
उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि भारत अब एक या दो मोर्चों पर नहीं लड़ रहा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एवं चीन अब दो भिन्न मोर्चे नहीं हैं बल्कि आपस में मिले हुए मोर्चे हैं।
चिदंबरम ने सरकार से प्रश्न किया कि क्या उसके पास पाकिस्तान एवं चीन तथा कुछ अन्य के साथ मिलकर बनाये गये मोर्चे का सामना करने के लिए कोई योजना है?
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद विभिन्न देशों में भेजे गये प्रतिनिधिमंडल की ओर ध्यान दिलाते हुए सरकार से प्रश्न किया कि ऐसे प्रतिनिधिमंडल नेपाल, श्रीलंका, म्यामां और मालदीव जैसे पड़ोसी देशों में क्यों नहीं भेजे गए?
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों को भेजता है किंतु देश में ऐसे कई आतंकवादी हमले हुए हैं जिनमें स्थानीय आतंकवादी शामिल थे। कांग्रेस नेता ने कहा कि अधिकतर मामलों में पाकिस्तान से भेजे गए आतंकवादी स्थानीय आतंकवादियों के साथ मिलकर आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं।
भाषा माधव अविनाश
अविनाश