शिमला, 29 जुलाई (भाषा) हिमाचल प्रदेश में पुलिस भर्ती के दौरान अब ‘चिट्टा’ के लिए डोपिंग परीक्षण अनिवार्य होगा और नए भर्ती होने वाले सरकारी कर्मचारियों को यह शपथपत्र देना होगा कि वे सिंथेटिक मादक पदार्थ का सेवन नहीं करते हैं। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बैठक के दौरान पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा स्वास्थ्य विभागों ने राज्य में नशीले पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों पर विस्तृत प्रस्तुतियां दीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मादक पदार्थ संबंधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने वाले किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सुक्खू ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने नशीले पदार्थों के खतरे के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई है तथा वह युवाओं को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग से बचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’’
उन्होंने नशीले पदार्थों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
यहां जारी एक बयान के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में एनडीपीएस कानून के मामले कुल मामलों का नौ प्रतिशत हैं, जो पंजाब के 20 प्रतिशत से काफी कम हैं।
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में, मादक पदार्थों से संबंधित गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों की 42.22 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की गई हैं।
भाषा नोमान नेत्रपाल
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