बेंगलुरु, 30 जुलाई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने विधायकों की नाराजगी दूर करने और उनकी शिकायतें सुनने के लिए कांग्रेस विधायकों से आमने-सामने की बैठकें शुरू की हैं।
इस पहल का मकसद सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर उभरे मतभेदों को दूर करना है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कुछ विधायक अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों की धीमी गति को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। कई विधायकों का कहना है कि कांग्रेस सरकार की चुनाव से पहले की पांच गारंटियों को लागू करने के कारण विकास कार्यों में देरी हो रही है।
नाराजगी दूर करने की इस कवायद के तहत सिद्धरमैया ने मंगलवार को मैसूर, चामराजनगर, तुमकुरु, कोडगु, हासन और दक्षिण कन्नड़ जिलों के मंत्रियों और विधायकों के साथ चर्चा की।
बुधवार को उनका बीदर, कलबुर्गी, यादगीर, रायचूर, कोप्पल, विजयनगर और बल्लारी जिलों के विधायकों से मिलने का कार्यक्रम है।
सूत्रों के अनुसार, बैठकों का ये दौर शनिवार तक जारी रहने की संभावना है।
उपमुख्यमंत्री एवं कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार को इन बैठकों में शामिल नहीं किया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल देखी जा रही है।
हालांकि, शिवकुमार ने इस घटनाक्रम को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा विधायकों के साथ बैठक करने पर कोई आपत्ति नहीं है।
शिवकुमार ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री पूरे अधिकार के साथ विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं। मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्हें कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला के जरिए विधायकों से प्रतिक्रिया मिली है और अब वह उस पर अमल कर रहे हैं। मैंने भी कुछ विधायकों के साथ, खासकर बेंगलुरु के विकास को लेकर बैठकें की हैं।’’
बैठक में शामिल हुए गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने बाद में शाम को संवाददाताओं को बताया कि चर्चा पूरी तरह से विकास कार्यों पर केंद्रित थी।
उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘राजनीति पर कोई चर्चा नहीं हुई।’’
भाषा खारी सिम्मी
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