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Sunday, August 10, 2025

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या जाटों की नाराज़गी बीजेपी पर भारी पड़ेगी

Newsजगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या जाटों की नाराज़गी बीजेपी पर भारी पड़ेगी

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में जीत के बाद भाजपा से यह अपेक्षा की जा रही थी कि वह ऐसा नेतृत्व प्रस्तुत करेगी जो राज्य के जटिल सामाजिक समीकरणों को साध सके।

लेकिन मुख्यमंत्री पद पर भजनलाल शर्मा की नियुक्ति, जो अपेक्षाकृत एक गैर-प्रभावशाली जातीय पृष्ठभूमि से आते हैं, ने पार्टी के भीतर और बाहर कई असंतोषों को जन्म दिया — खासकर उन जातियों में जिनका राज्य की राजनीति में ऐतिहासिक दबदबा रहा है, जैसे जाट, मीणा, गुर्जर और राजपूत।

जाटों की उपेक्षा और धनखड़ का इस्तीफा

ताजा घटनाक्रम में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने शेखावाटी क्षेत्र सहित समूचे जाट समाज में असंतोष और बढ़ा दिया है। पहले से ही राहुल कस्वां जैसे नेताओं को टिकट न मिलने से जाटों में नाराज़गी थी, और लोकसभा चुनाव में इसका असर भाजपा को हार के रूप में झेलना पड़ा। अब धनखड़ का जाना न सिर्फ एक अनुभवी जाट नेता की गैर-मौजूदगी को रेखांकित करता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि पार्टी में उच्च जातियों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है — जिससे जाट समुदाय धीरे-धीरे पार्टी से दूर होता दिख रहा है।

भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग उलटी दिशा में?

राज्य में जातिगत सोशल इंजीनियरिंग के जिस फार्मूले से बीजेपी ने सत्ता में वापसी की, वही अब उसके लिए संकट बनता जा रहा है। पार्टी के कई प्रभावशाली सामाजिक चेहरे या तो दरकिनार किए जा चुके हैं या नाराज़ हैं:

किरोड़ी लाल मीणा का लंबे समय तक विद्रोही रुख रहना, फिर भी मीणा समाज में उनकी घटती स्वीकार्यता।

विजय बैंसला को लगातार हाशिए पर रखना, जबकि उन्होंने गुर्जर आरक्षण आंदोलन के जरिए समाज को सक्रिय किया।

सतीश पूनिया की हार के बाद शेखावाटी में पार्टी के पास ठोस जाट नेतृत्व का अभाव।

जातीय प्रभाव की हकीकत

जाट समुदाय:

लगभग 60 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव।

हनुमानगढ़, नागौर, सीकर, झुंझनूं, चुरू, बीकानेर, जयपुर, चित्तौड़गढ़, टोंक, जोधपुर जैसे जाट बहुल जिले।

कांग्रेस में जाट विधायकों की संख्या बीजेपी से कहीं अधिक।

मीणा समुदाय:

200 में से करीब 50 सीटों पर निर्णायक प्रभाव।

पूर्वी राजस्थान में खासा दबदबा, और बीजेपी के अंदरूनी प्रबंधन से असंतुष्ट वर्ग।

MBC (Most Backward Castes):

गुर्जर, बंजारा, गाड़िया लोहार, रेबारी जैसे समुदायों को जोड़कर MBC की राजनीति मजबूत हुई।

75 से अधिक सीटों पर निर्णायक भूमिका।

धौलपुर से बाड़मेर तक फैले क्षेत्र में 37% सीटों पर ये वर्ग बेहद अहम।

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