नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) ‘ऑल इंडिया रेलवे ट्रैकमेन्टेनर्स यूनियन’ (एआईआरटीयू) के पदाधिकारियों के बीच शीर्ष पदों पर दावे के लिए अंदरूनी लड़ाई से कामगारों के हितों का प्रतिनिधित्व करने और उनकी वकालत करने के यूनियन के प्राथमिक उद्देश्य पर संकट मंडरा रहा है। ट्रैकमैन के एक वर्ग ने यह बात कही।
गुटीय लड़ाई के बीच, यूनियन के कुछ पदाधिकारियों ने इन दावों की वास्तविकता की पुष्टि करने के लिए गुजरात के गांधीनगर में, जहां यह पंजीकृत है, ट्रेड यूनियन के उप-पंजीयक को पत्र लिखा है।
भारतीय रेलवे में दो लाख से अधिक ट्रैकमैन नियुक्त हैं, जो सुरक्षित रेल परिचालन के लिए पटरियों की अच्छी स्थिति सुनिश्चित करने के वास्ते विभिन्न पदों पर काम करते हैं।
गांधीनगर स्थित क्षेत्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय में पंजीकृत एआईआरटीयू, रेल पटरी श्रमिकों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है और उनके कल्याण के मुद्दे उठाता है। यह 18 में से 13 रेलवे जोन में सक्रिय है।
यूनियन के एक गुट के सदस्य ने बताया, ‘यूनियन अब तीन गुटों में बंट गई है और हर गुट बहुमत के समर्थन का दावा करके शीर्ष पदों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। एक वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के बजाय, इन तीनों गुटों ने तीन अलग-अलग जगहों-नागपुर, दिल्ली और भोपाल पर तीन एजीएम आयोजित कीं और हर गुट ने गांधीनगर स्थित उप-पंजीयक कार्यालय में अपनी दावेदारी पेश की है।’
सदस्य से कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उप-पंजीयक की मंजूरी पाने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी, भ्रष्टाचार और पैसों के लेन-देन के आरोप लगे हैं। उप-पंजीयक को लिखे एक पत्र में, एक गुट ने 28 जुलाई को आरोप लगाया कि दूसरे गुट ने झूठे आंकड़े दिखाकर और दस्तावेजों में हेराफेरी करके सदस्यों का समर्थन हासिल किया है।’
रेल पटरियों की देखरेख करने वाले कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें बेहतर सुविधाओं के लिए रेल मंत्रालय तक अपनी मांग पहुंचाने के वास्ते एक मजबूत यूनियन की जरूरत है, क्योंकि हर साल दर्जनों ट्रैकमैन तेज गति से चलने वाली ट्रेन की चपेट में आने के कारण ड्यूटी निभाते हुए अपनी जान गंवा देते हैं।
ट्रैक देखभाल से जुड़े कर्मचारी ने बताया, ‘मंत्रालय ने पटरियों के रखरखाव में लगे कर्मचारियों को आने वाली ट्रेन की सूचना देने के लिए जीपीएस से लैस एक ‘रक्षक’ उपकरण देने का वादा किया था। लेकिन एक-दो डिवीजन को छोड़कर, इसे कहीं भी वितरित नहीं किया गया।’
कर्मचारी ने कहा, ‘ट्रैक कर्मचारियों को समय पर बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। गर्मी का मौसम खत्म होने पर उन्हें पानी की ‘इंसुलेटेड’ बोतलें (तापमान नियंत्रित रखने में सक्षम) दी जाती हैं और कई अन्य सुविधाओं का भी यही हाल है। इन मुद्दों को मंत्रालय के सामने मजबूती से उठाने की जरूरत है।’
भाषा आशीष पारुल
पारुल