नयी दिल्ली, 30 जुलाई, (भाषा) रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि पिछले तीन वर्षों और चालू वित्त वर्ष में 20 जुलाई, 2025 तक देश भर में मानव-संचालित समपार फाटकों (मैन्ड लेवल क्रॉसिंग गेट्स) पर टक्कर से जुड़ी कुल तीन रेल दुर्घटनाएं हुई हैं।
वैष्णव ने तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली रेल मंडल (कुड्डालोर जिला) में एक मानव-चालित समपार फाटक पर एक ट्रेन और एक स्कूल बस के बीच हुई टक्कर से जुड़ी हालिया घटना से संबंधित प्रश्नों के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
इस दुर्घटना में तीन छात्रों की मौत हो गई थी।
मंत्री ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह टक्कर आठ जुलाई, 2025 की सुबह दक्षिण रेलवे के तिरुचिरापल्ली मंडल के विल्लुपुरम-मयिलादुतुरै खंड पर मानव-संचालित समपार फाटक संख्या 170 पर हुई थी। यह फाटक ‘नॉन-इंटरलॉक्ड’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘उक्त घटना में तीन लोगों की जान चली गई और तीन मामूली रूप से घायल हुए हैं। दुर्घटना की तहकीकात के लिए एक जांच दल गठित किया गया है।’’
केंद्रीय मंत्री ने मुआवजे के संबंध में बताया कि रेलवे ने पिछले तीन वर्षों (2022-23 से 2024-25 तक) में समपार फाटकों पर हुई रेल दुर्घटनाओं में मृतकों के परिजनों और घायलों को कुल 16 लाख रुपये का भुगतान किया है।
वैष्णव ने कहा, ‘‘कुड्डालोर दुर्घटना मामले में मृतकों के परिजनों और घायलों को 11 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया गया है।’’
उन्होंने मानव-संचालित समपारों को समाप्त करने के उद्देश्य से चल रहे ‘इंटरलॉकिंग’ कार्य पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि समपार फाटक ‘इंटरलॉकिंग’ एक ऐसा सुरक्षा तंत्र है, जो यह सुनिश्चित करता है कि इन फाटकों पर लगे सिग्नल केवल तभी ट्रेन को आगे बढ़ने देंगे जब रास्ता साफ हो और फाटक बंद हो।
वैष्णव ने कहा, ‘‘वर्तमान में 11,096 मानव-संचालित समपार फाटकों को इंटरलॉक किया जा चुका है। तमिलनाडु में, राज्य के ऐसे कुल 1,255 फाटकों में से अब तक 1,053 फाटकों को इंटरलॉक किया जा चुका है। इसके अलावा, राज्य में 72 मानव-संचालित समपारों पर ‘इंटरलॉकिंग’ का कार्य शुरू हो चुका है।’’
उन्होंने आगे बताया कि बड़ी लाइन (ब्रॉड गेज) नेटवर्क की चालू लाइन पर सभी मानवरहित समपार फाटकों (यूएमएलसी) को 31 जनवरी, 2019 तक समाप्त कर दिया गया।
वैष्णव ने बताया कि एक अप्रैल, 2025 तक रेलवे के लिए 1,00,860 करोड़ रुपये की लागत से 4,402 रोड ओवर ब्रिज (आरओबी)/रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें तमिलनाडु में 4,669 करोड़ रुपये की लागत से 235 आरओबी/आरयूबी शामिल हैं, जो योजना और कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
भाषा सुरेश वैभव
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