भोपाल, 30 जुलाई (भाषा) मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को उस वक्त एक अनूठा नजारा देखने को मिला जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य ने संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन के मुद्दे पर सदन का ध्यान संस्कृत में आकृष्ट किया और शिक्षा मंत्री ने भी जवाब संस्कृत में ही दिया।
जबलपुर उत्तर से विधायक अभिलाष पांडे ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए मध्यप्रदेश में संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन का मुद्दा उठाया।
पांडे ने संस्कृत में ही अपना ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पढ़ा और सरकार से सवाल किया कि वह इस प्राचीन भाषा के प्रोत्साहन के लिए क्या कदम उठा रही है।
स्कूली शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने संस्कृत भाषा में सदस्य के सवाल का जवाब दिया और बताया कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए है, जिनमें महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की स्थापना की, 271 विद्यालयों में संस्कृत की पढ़ाई और संस्कृत के चार आदर्श आवासीय विद्यालय शामिल हैं।
सिंह ने जब संस्कृत में अपना जवाब देना आरंभ किया तो सदन के सदस्यों ने मेज थपथपाई।
पांडे ने नयी शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि अंग्रेजी और हिंदी को तो बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन संस्कृत को व्यावसायिक रूप से बढ़ावा देने का प्रयास नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने सरकार से संस्कृत को बोलचाल की भाषा के रूप में प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाने की मांग की।
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार राज्य में संस्कृत दिवस या संस्कृत सप्ताह मनाए जाने की कोई योजना बना रही है।
इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि शासकीय आवासीय स्कूलों में छात्रवृत्ति की पात्रता है और विगत वर्ष 2024-25 में 3500 बच्चों को स्कॉलरशिप का लाभ दिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की योजना हर जिले में संस्कृत, वैदिक शिक्षा और योग के संस्थान स्थापित करने की है।
पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ सदस्य गोपाल भार्गव ने सरकार से संस्कृत की शिक्षा को बढ़ावा देने वाले संस्थानों को वित्तीय मदद देने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि वह खुद एक संस्कृत महाविद्यालय चलाते हैं लेकिन पिछले 22 सालों में उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है।
भाषा ब्रजेन्द्र जोहेब
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