नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि देश में 75,629 एकड़ रक्षा भूमि में से 2,024 एकड़ भूमि पर वर्तमान में व्यक्तियों ने अतिक्रमण कर रखा है और 1,575 एकड़ भूमि उन लोगों के अनधिकृत कब्जे में है, जिन्होंने कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि पट्टे पर ली थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है और अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की जा रही है।
केंद्र सरकार ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी के लिए एक नयी समिति गठित की गई है, जिसके बाद अदालत ने नयी वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो महीने का समय दिया।
रक्षा मंत्रालय द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 819 एकड़ भूमि राज्य और केंद्र सरकार के विभागों या उनके उपक्रमों के कब्जे में विभिन्न जन-उपयोगी उद्देश्यों के लिए है, जैसे कि सड़कें बनाना, स्कूल, सार्वजनिक पार्क और बस स्टैंड का निर्माण करना, इसके अलावा प्रशासनिक कारण भी हैं।
हलफनामे में कहा गया है, ‘रक्षा संपदा संगठन (डीईओ) के प्रशासनिक दायरे में लगभग 75,629 एकड़ रक्षा भूमि आती है, जो मुख्य रूप से वर्ग ए-2, बी-3, बी-4 और सी की भूमि है। इस भूमि में से लगभग 52,899 एकड़ भूमि छावनी के भीतर है, जबकि 22,730 एकड़ भूमि छावनी के बाहर स्थित है। लगभग 2,024 एकड़ भूमि पर व्यक्तियों ने अतिक्रमण किया हुआ है।’
इसमें यह भी कहा गया है कि 1,575 एकड़ ज़मीन पूर्व कृषि पट्टेदारों के अनधिकृत कब्जे में है, ‘जिनके खिलाफ संबंधित डीईओ द्वारा बेदखली की कार्यवाही शुरू की गई है।’
यह हलफनामा गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ द्वारा 2014 में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में दायर किया गया था, जिसमें देश भर में रक्षा भूमि पर कथित अतिक्रमण की जांच का अनुरोध किया गया।
भाषा आशीष पवनेश
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