प्रयागराज, 30 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने एक परिपत्र जारी कर पुलिसकर्मियों को अदालतों में लंबित मामलों में पक्षकारों और उनके वकीलों से सीधे संपर्क करने पर रोक लगा दी।
जौनपुर के रहने वाले 90 वर्षीय गौरी शंकर सरोज नाम के एक बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर 28 जुलाई को सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार के वकील ने अदालत को यह जानकारी दी।
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिसकर्मियों ने ग्राम सभा की जमीन पर कथित अतिक्रमण के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की उन्हें धमकी दी थी और पुलिस ने उनके घर पर कथित तौर पर दबिश भी दी थी।
अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सरकार ने पुलिसकर्मियों को न्यायालय में विचाराधीन मामलों में हस्तक्षेप करने से रोकते हुए 25 जुलाई को पूरे राज्य के लिए एक व्यापक दिशानिर्देश के साथ एक परिपत्र जारी किया।
उन्होंने बताया कि ये दिशानिर्देश पुलिसकर्मियों को लंबित मामलों के संबंध में बगैर कानूनी अधिकार और एक सक्षम अधिकारी या अदालत से पूर्व में अनुमति लिए बगैर याचिकाकर्ता या उनके वकीलों से संपर्क करने से निषिद्ध करते हैं।
इससे पहले उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लिया था और 15 जुलाई को राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर निर्देश तैयार करने के लिए 10 दिन की मोहलत मांगी थी।
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इन दिशानिर्देशों को ‘सराहनीय’ करार दिया हालांकि अदालत ने इन्हें क्रियान्वित किए जाने के संबंध में चिंता भी जताई।
अदालत ने अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता को राज्य के अधिकारियों के साथ सलाह कर इन दिशानिर्देशों को कैसे सतत और नियमित रूप से लागू किया जाए, इस बारे में सुझाव देने का निर्देश दिया।
अदालत ने याचिकाकर्ता और उसके वकील को धमकाने में कथित तौर पर लिप्त अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के संबंध में जौनपुर के पुलिस अधीक्षक द्वारा दाखिल हलफनामा को भी रिकॉर्ड में लिया।
इस मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।
भाषा राजेंद्र जितेंद्र
जितेंद्र