पुणे, 30 जुलाई (भाषा) कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ने वाले एक पूर्व सैनिक के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि एक हिंदूवादी संगठन से जुड़े करीब 80 लोगों का एक समूह पुणे स्थित उनके घर में जबरन घुस आया और उसने उन पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाते हुए उनसे भारतीय नागरिकता का प्रमाण मांगा।
परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उन्होंने ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए और अपने साथ थाने चलने के लिए मजबूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि दो लोग सादे कपड़ों में मौजूद थे जिन्होंने खुद को पुलिसकर्मी बताया।
पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बुधवार को कहा कि शेख परिवार के घर के बाहर नारे लगाने वाले कुछ लोगों के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने का मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शेख परिवार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच के बाद कोई अवैधता नहीं पाई गई।
शेख परिवार ने दावा किया कि घटना शनिवार मध्य रात्रि को शहर के चंदननगर इलाके में हुई। परिवार ने आरोप लगाया कि इस दौरान सादे कपड़ों में कुछ पुलिसकर्मी भी मौजूद थे लेकिन वे मूकदर्शक बने रहे।
इरशाद शेख (48) ने कहा कि उनके बड़े भाई हकीमुद्दीन शेख भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं और उन्होंने कारगिल युद्ध में भी भाग लिया था तथा वह 2000 में ‘इंजीनियर्स रेजिमेंट’ से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। हकीमुद्दीन अब उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में रहते हैं।
इरशाद ने कहा, ‘‘मेरे बड़े भाई उत्तर प्रदेश में रहते हैं, जबकि मैं अपने दो भाइयों और उनके बच्चों के साथ पिछले कई दशक से पुणे के चंदननगर इलाके में रह रहा हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘शनिवार आधी रात को लगभग 80 लोग अचानक हमारे घर आए और जोर-जोर दरवाजा खटखटाने लगे। जब हमने दरवाजा खोला तो उनमें से कुछ लोग अंदर घुस आए और परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड मांगने लगे।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने दस्तावेज दिखाए, तो लोगों ने उन्हें फर्जी बताकर महिलाओं और बच्चों से आधार कार्ड दिखाने को कहा।
इरशाद ने कहा कि उन्होंने समूह को समझाने की कोशिश की कि उनका परिवार पिछले 60 साल से यहां रह रहा है और उनके बड़े भाई के अलावा उनके दो चाचा भी सेना में सेवा दे चुके हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन समूह के सदस्य सुनने को तैयार नहीं थे। उन्होंने अपशब्द कहे और हम पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया। मैंने उनसे कहा कि अगर वे जांच करना चाहते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं, लेकिन आधी रात को किसी के घर में घुसकर अपशब्द कहना और बच्चों को दस्तावेज दिखाने के लिए मजबूर करना उचित नहीं है।’’
इरशाद ने दावा किया कि जब हिंदुत्व कार्यकर्ताओं के समूह ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने शुरू किए और परिवार के सदस्यों को पुलिस थाने जाने के लिए मजबूर करने की कोशिश की तो उनके साथ आए दो लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि सादे कपड़े पहने ये दोनों पुलिसकर्मी पूरे घटनाक्रम के दौरान चुपचाप खड़े रहे और कुछ नहीं किया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब वे चंदननगर थाने पहुंचे तो महिला पुलिस निरीक्षक ने उनके दस्तावेज ले लिए और उन्हें बाहर इंतजार करने को कहा।
इरशाद ने कहा, ‘‘हमें दो घंटे इंतजार कराने के बाद अधिकारी ने हमें अगले दिन फिर आने को कहा और चेतावनी दी कि अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो हमें बांग्लादेशी नागरिक घोषित कर दिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि वे अगले दिन फिर थाने गए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे कहा कि वे इस मुद्दे को तूल नहीं दें और शिकायत दर्ज नहीं कराएं।
परिवहन क्षेत्र में काम करने वाले इरशाद ने कहा, ‘‘हमें इस घटना को मुद्दा न बनाने और कोई शिकायत दर्ज न कराने के लिए कहा गया। पुलिस अब हम पर दबाव बनाने और यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि हमारे घर में कोई नहीं घुसा था।’’
उन्होंने दावा किया कि अगर दस्तावेज में कोई गड़बड़ी होती, तो पुलिस बलपूर्वक कार्रवाई करती ‘‘लेकिन चूंकि हमारे सभी दस्तावेज असली हैं, इसलिए अब वे हमें चुप रहने के लिए कह रहे हैं।’’
इरशाद ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपनी भारतीय नागरिकता का ‘‘400 साल पुराना प्रमाण भी दे सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे चाचा 1971 के युद्ध में एक बम विस्फोट में घायल हुए थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया गया था। मेरे एक और चाचा 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अब्दुल हमीद के साथ लड़े थे।’’
इरशाद ने बताया कि उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता राहुल दंबले से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से संपर्क करने में मदद की।
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी ने मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन तीन-चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया।
हकीमुद्दीन शेख ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पुणे में उनके परिवार के साथ जो हुआ वह गलत है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम 50 साल से अधिक समय से पुणे में रह रहे हैं। पुणे में रहते हुए मेरे चाचा मोहम्मद सलीम भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। मेरे परिवार के साथ जो हुआ वह गलत है, और जरूरत पड़ने पर मैं पुलिस से बात करूंगा और स्पष्टीकरण मांगूंगा।’’
हालांकि, पुलिस उपायुक्त (जोन 4) सोमय मुंडे ने कहा कि शेख के घर में किसी बड़े समूह के घुसने जैसी कोई घटना नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि कुछ पुलिसकर्मी उनके दस्तावेज की जांच करने के लिए वहां गए थे।
मुंडे ने कहा, ‘‘शहर में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत पुलिस को कुछ जानकारी मिली और वे उसकी पुष्टि करने के लिए उनके घर गए। रात होने के कारण किसी भी महिला को थाने नहीं लाया गया और केवल कुछ पुरुषों को ही पुलिस के साथ जाने को कहा गया। देर हो जाने के कारण उन्हें अगले दिन वापस आने को कहा गया। प्रथम दृष्टया, उनके दस्तावेज़ में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई।’’
उन्होंने कहा कि उनके घर जाने वाले पुलिस दल के पास इसकी वीडियो फुटेज भी मौजूद है।
इस बीच, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस फॉर माइनॉरिटी’ के अध्यक्ष दंबले ने आरोप लगाया कि हिंदुत्व संगठन के सदस्यों ने पूर्व सैनिक के परिवार के सदस्यों को आतंकित करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज किए जाने की मांग की है। हम कार्रवाई की मांग को लेकर पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार से मिलेंगे।’’
शेख ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता दंबले ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से संपर्क करने में उनकी मदद की।
बुधवार शाम को शेख परिवार के सदस्यों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों के साथ पुणे पुलिस आयुक्त से मुलाकात की और भीड़ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
पुलिस आयुक्त कुमान ने कहा, ‘‘शनिवार देर रात पुलिस नियंत्रण कक्ष को एक फोन आया कि कुछ बांग्लादेशी नागरिक एक घर में ठहरे हुए हैं। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो कुछ संगठनों से जुड़े लोग घर के बाहर नारे लगा रहे थे। पुलिस ने हस्तक्षेप किया और वहां जमा सदस्यों को थाने आने का निर्देश दिया।’’
उन्होंने कहा कि भीड़ ने मौके पर कुछ आपत्तिजनक हरकतें कीं और पुलिस शेख परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘शेख परिवार के घर के बाहर नारे लगाने वाले कुछ लोगों के खिलाफ गैरकानूनी रूप से एकत्र होने का मामला दर्ज किया गया है। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त धाराएं जोड़ी जाएंगी या कोई नया अपराध भी दर्ज किया जा सकता है।’’
परिवार के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि घटना के समय कुछ पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में मौजूद थे, कुमार ने कहा, ‘‘घर पर अधिकतर पुलिस कर्मचारी वर्दी में थे। हालांकि, कुछ पुलिसकर्मी सादी वर्दी में भी हो सकते हैं।’’
भाषा सुरभि नेत्रपाल
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