17 के लंबे इंतजार के बाद एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसला सुना दिया है। इस फैसले में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपियों पर यूएपीए नहीं लगाया जा सकता। इस केस की जांच 3-4 एजेंसियां कर रही थीं। बाइक में बम रखने का कोई सबूत नहीं मिला। कर्नल पुरोहित के खिलाफ भी कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इसके अलावा कश्मीर से आरडीएक्स लाने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं।
बता दें कि यह मामला 29 सितंबर 2008 का है। जब सभी लोग रमजान का महीना व नवरात्रि के त्योहार की तैयारियों में व्यस्त थे। रात करीब 9 बजे के समय बम ब्लास्ट हुआ। चारों तरफ धुआं और लोगों की चीखों की आवाज सुनाई देनी लगी। 6 लोगों की मौके पर ही मौत और 100 अधिक लोग घायल हो गए थे।
सात आरोपियों के खिलाफ फैसला सुरक्षित
अदालत ने सुनावाई के बाद 19 अप्रैल को सभी सात आरोपियों के खिलाफ फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद 8 मई फैसला सुनाने की तारीख तय की गई थी। सभी आरोपियों को इस दिन पेश होने का आदेश दिया गया था, लेकिन फिर कोर्ट ने 31 जुलाई फैसला सुनाने की तिथि तय कर दी थी।
सभी आरोपियों को होना था उपस्थित
कोर्ट की ओर से आदेश जारी किए गए थे कि सभी आरोपियों को फैलसे के दिन कोर्ट में मौजूद रहना है। कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि कि जो आरोपी उस दिन अनुपस्थित रहेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में सात लोग, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय शामिल हैं, जिन पर मुकदमा चला. इन सभी लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।