मुंबई, 31 जुलाई (भाषा) ऊंची कीमतों के बीच अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सोने की वैश्विक मांग सालाना आधार पर तीन प्रतिशत बढ़कर 1,249 टन हो गई है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
डब्ल्यूजीसी की 2025 की दूसरी तिमाही की स्वर्ण मांग प्रवृत्ति रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत स्वर्ण निवेश प्रवाह ने तिमाही वृद्धि को काफी हद तक बढ़ावा दिया। तेजी से अप्रत्याशित होते भू-राजनीतिक माहौल और मूल्य गति ने मांग को बनाए रखा।
रिपोर्ट कहती है, “गोल्ड ईटीएफ में निवेश की कुल मांग में महत्वपूर्ण भूमिका रही। गोल्ड ईटीएफ में तिमाही के दौरान 170 टन का प्रवाह हुआ, जबकि 2024 की दूसरी तिमाही में इसमें मामूली निकासी देखने को मिली थी।’’
रिपोर्ट में कहा गया, “एशियाई सूचीबद्ध कोषों ने 70 टन के साथ अमेरिकी प्रवाह के साथ तालमेल बनाए रखते हुए प्रमुख योगदान दिया। पहली तिमाही में रिकॉर्ड निवेश के साथ, वैश्विक गोल्ड ईटीएफ की मांग 397 टन तक पहुंच गई, जो 2020 के बाद पहली छमाही का उच्चतम योग है।”
इस बीच, सोने के बिस्कुट और सिक्के में निवेश भी सालाना आधार पर 11 प्रतिशत बढ़कर 307 टन हो गया।
चीनी निवेशकों ने सालाना 44 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 115 टन का निवेश किया, जबकि भारतीय निवेशकों ने दूसरी तिमाही में कुल 46 टन का निवेश किया।
पश्चिमी बाज़ारों में अलग-अलग रुझान उभरे, जहां दूसरी तिमाही में यूरोपीय शुद्ध निवेश दोगुने से भी ज़्यादा बढ़कर 28 टन हो गया, जबकि अमेरिका में सोने के बिस्कुट और सिक्कों की मांग आधी होकर नौ टन रह गई।
केंद्रीय बैंकों ने खरीदारी जारी रखी और इस साल अप्रैल-जून तिमाही में पोलैंड, तुर्की और अज़रबैजान ने 166 टन की खरीदारी की।
इस सुस्ती के बावजूद, जारी आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के कारण केंद्रीय बैंक की खरीदारी काफी ऊंचे स्तर पर बनी रही।
रिपोर्ट में कहा गया, “हमारे वार्षिक केंद्रीय बैंक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 95 प्रतिशत रिजर्व प्रबंधकों का मानना है कि अगले 12 महीनों में वैश्विक केंद्रीय बैंक स्वर्ण भंडार में वृद्धि होगी।”
आभूषणों की मांग में गिरावट जारी रही, खपत की मात्रा में 14 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 2020 में कोविड महामारी के दौरान देखे गए निम्नतम स्तर के करीब पहुंच गई।
भाषा अनुराग अजय
अजय