दौसा (राजस्थान), 31 जुलाई — राजस्थान के दौसा जिले में भारी बारिश के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। जिले के सिकराय क्षेत्र के मोटा वाली ढाणी और दाताजका ढाणी गांवों में जलभराव के चलते जनजीवन ठप हो गया है। गांव के आम रास्तों पर 3 से 5 फुट तक पानी भरा है, जिससे ग्रामीण बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट चुके हैं।
इलाज न मिलने से गई जान, एंबुलेंस ने आने से किया इनकार
27 जुलाई को दाताजका ढाणी की निवासी सुमित्रा गुर्जर को अलसुबह दिल का दौरा पड़ा। परिजनों ने तुरंत एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन रास्ते में पानी भरे होने की वजह से एंबुलेंस आने से मना कर गई। मजबूरी में परिजनों ने महिला को चारपाई पर लिटाकर पैदल ही गांव से बाहर ले जाने की कोशिश की। सुबह 6 बजे खवारावजी के पास पहुंचने तक सुमित्रा की मौत हो चुकी थी।
सुमित्रा के पति की भी दो साल पहले कैंसर से मौत हो चुकी थी। अब उनके पांच छोटे बच्चे — चार बेटियां और एक बेटा — अनाथ हो चुके हैं।
RTI से हुआ खुलासा: कागजों में बनी सड़क, ज़मीन पर नहीं
गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी की पोल एक RTI से भी खुल गई है। सिकराय विधानसभा के अंतर्गत आने वाले मोरोली गांव के ग्रामीणों ने जब सड़क निर्माण को लेकर RTI डाली, तो जवाब में बताया गया कि क्षेत्र में सड़क बनाई जा चुकी है। लेकिन हकीकत यह है कि आज तक यहां कोई सड़क नहीं बनी।
संपर्क, स्वास्थ्य, शासन — हर मोर्चे पर विफलता
गांव में न केवल सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है, बल्कि मोबाइल नेटवर्क तक नहीं है। आपात स्थिति में न तो सहायता ली जा सकती है और न ही सूचना भेजी जा सकती है। इस इलाके में करीब 45 घरों में 400 लोग रहते हैं, जो पूरी तरह से मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि पंच, सरपंच, विधायक और सांसद चुनाव के समय जरूर आते हैं, लेकिन उसके बाद जनसंपर्क, सुनवाई और विकास — सब गायब हो जाता है।
ये केवल एक मौत नहीं, बल्कि एक सिस्टम की असफलता है
दौसा की यह घटना यह दिखाती है कि जब बाढ़ आती है, तो उससे ज्यादा विनाशकारी होती है प्रशासन की उदासीनता। सड़क, स्वास्थ्य सेवाएं और संचार — ये केवल सरकारी आंकड़ों की शोभा बनकर रह गए हैं।
जरूरी मांगें:
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प्रभावित परिवार को तत्काल मुआवज़ा और पुनर्वास सहायता।
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मोरोली और आसपास के गांवों में स्थायी सड़क निर्माण।
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स्वास्थ्य सेवा पहुंच, मोबाइल टॉवर और जलनिकासी सिस्टम की प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्था।
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