नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) सरकार ने बताया कि 500 मेगावॉट क्षमता वाले प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) के चालू होने में ‘‘पहली बार इस्तेमाल की जा रही तकनीकों से जुड़ी जटिलताओं’’ के कारण देरी हुई है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन तकनीकी मुद्दों का समाधान डिजाइन इंजीनियरों के साथ मिलकर किया जा रहा है।
डॉ. सिंह ने बताया कि पीएफबीआर के ‘कोर लोडिंग’ की प्रक्रिया मार्च 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में शुरू की गई थी, जो भारत के तीन-स्तरीय परमाणु कार्यक्रम के दूसरे चरण की दिशा में एक बड़ा कदम था।
उन्होंने बताया कि पिछले साल जुलाई में परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) ने इस रिएक्टर की समन्वित शुरुआत के लिए मंजूरी प्रदान की थी।
मंत्री ने बताया कि पीएफबीआर परियोजना के पूर्ण होने में देरी का मुख्य कारण यह है कि एकीकृत कमीशनिंग चरण में पहली बार सामने आई तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
पीएफबीआर जैसे रिएक्टर भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि इन रिएक्टरों से निकले, इस्तेमाल किए गए ईंधन का उपयोग थोरियम-आधारित रिएक्टरों को ऊर्जा देने के लिए किया जाएगा, जो तीसरे चरण की मुख्य कड़ी हैं।
भारत पिछले चार दशकों से कलपक्कम स्थित फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर) का संचालन कर रहा है। वहीं, तीसरे चरण के लिए प्रस्तावित एडवांस्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (एएचडब्ल्यूआर) का डिज़ाइन फिलहाल समीक्षाधीन है।
डॉ. सिंह ने बताया कि भारत वर्तमान में 24 परमाणु रिएक्टरों का संचालन कर रहा है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 8,780 मेगावॉट है। इसके अलावा 13,600 मेगावॉट की क्षमता विभिन्न चरणों में निर्माणाधीन है, जिसमें 500 मेगावॉट का पीएफबीआर भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर देश की स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता वर्ष 2031-32 तक 22,380 मेगावॉट तक पहुंचने की संभावना है।
सरकार ने 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इसके तहत मौजूदा तकनीकों और नई उन्नत तकनीकों पर आधारित रिएक्टरों की स्थापना की जाएगी, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों की भागीदारी होगी।
सिंह ने बताया कि सरकार छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों और नयी तकनीकों के अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए भी आवश्यक कदम उठा रही है।
भाषा मनीषा माधव
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