नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) देश के 76.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने खपत में वृद्धि की सूचना दी है जो उपभोग-आधारित वृद्धि की निरंतर गति को दर्शाता है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात कही है।
‘ग्रामीण आर्थिक स्थिति और धारणा सर्वेक्षण’ (आरईसीएसएस) के जुलाई, 2025 चरण से संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति की चिंताएं कम हो गई हैं और 78.4 प्रतिशत से अधिक परिवारों की राय में वर्तमान मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत या उससे कम है। यह बेहतर मूल्य स्थिरता को दर्शाता है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित ग्रामीण मुद्रास्फीति मार्च के 3.25 प्रतिशत से घटकर अप्रैल में 2.92 प्रतिशत और मई में 2.59 प्रतिशत हो गई। खाद्य मुद्रास्फीति भी मई में घटकर 1.36 प्रतिशत रह गई।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण परिवारों का वित्तीय स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों के 20.6 प्रतिशत परिवारों ने अधिक बचत होने की सूचना दी है जबकि 52.6 प्रतिशत ने केवल संगठित क्षेत्रों से ऋण लिया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋण के विभिन्न असंगठित स्रोतों में से दोस्तों एवं रिश्तेदारों की हिस्सेदारी साहूकारों की हिस्सेदारी से अधिक थी।
सर्वेक्षण के जुलाई, 2025 के दौर में असंगठित ऋण पर दी जाने वाली औसत ब्याज दर में लगभग 0.30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
भाषा अनुराग प्रेम
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