नैनीताल, 31 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विवाह के लिए वैध न्यूनतम आयु से कम उम्र के एक युवक के विरुद्ध एक विवाहित और उम्र में आठ साल बड़ी महिला की ओर से दायर दुष्कर्म के आपराधिक मुकदमे को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित ने शादी के लिए नाबालिग व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह ‘सहमति से बनाया गया संबंध’ था।
महिला ने नाबालिग पर आरोप लगाया था कि उसने शादी का वायदा कर दुष्कर्म किया तथा उसके वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने की धमकी दी।
महिला की शिकायत के आधार पर 2022 में काशीपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) और 506 (आपराधिक धमकी देने) के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया गया तथा समन जारी किया गया।
न्यायाधीश ने इस बात पर सवाल उठाया कि 28 साल की एक परिपक्व विवाहित महिला, जो एक सात-वर्षीय बेटे की मां भी थी, बीस-साल के एक व्यक्ति के साथ शादी के वायदे के आधार पर कैसे शारीरिक रिश्ते बना सकती है।
अदालत ने कहा कि विवाह के वायदे की कोई कानूनी वैधता नहीं है, क्योंकि घटना के समय आरोपी की आयु विवाहयोग्य नहीं थी, जबकि महिला 28 वर्ष की थी, वह विवाहित भी थी और पहले से ही एक बच्चे की मां थी।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह झूठे वायदे के मामले की बजाय सहमति से बनाया गया रिश्ता था, जो बिगड़ गया।’’
अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी विवाह की वैध आयु से कम उम्र का था, जबकि शिकायतकर्ता पहले से शादीशुदा थी और उसका एक बच्चा भी था।
शिकायतकर्ता की वैवाहिक स्थिति के कारण आरोपी की ओर से विवाह के प्रस्ताव को संभव नहीं बताते हुए उच्च न्यायालय ने व्यक्ति के खिलाफ दर्ज शिकायत और आरोप-पत्र को निरस्त कर दिया तथा उसके विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया।
भाषा सं दीप्ति
सुरेश
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