नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क और जुर्माना लगाने की घोषणा से देश के कपड़ा निर्यातकों पर बड़ा असर पड़ेगा, क्योंकि वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे प्रतिस्पर्धियों को अब कम शुल्क के कारण कीमतों में बढ़त हासिल है। विशेषज्ञों ने यह बात कही है।
यह शुल्क एक अगस्त से लागू होगा। रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर भारत पर जुर्माना भी लगाया गया है।
अमेरिका, कपड़ा और परिधान निर्यात के लिए भारत का सबसे बड़ा बाजार है।
व्यापार आसूचना कंपनी साइबेक्स एक्जिम सॉल्यूशंस के अनुसार, कई भारतीय निर्यातकों को ऑर्डर रद्द होने और कीमतें कम करने के दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे लागत बढ़ सकती है और वियतनाम और इंडोनेशिया से प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान हो सकता है।
साइबेक्स एक्ज़िम सॉल्यूशंस ने कहा, ‘‘अमेरिका द्वारा घोषित 25 प्रतिशत शुल्क कपड़ा और परिधान निर्यातकों के लिए एक बड़ा झटका है। हम 17 अरब डॉलर के सिलेसिलाए परिधान का निर्यात करते हैं, जिसमें से 5.6 अरब डॉलर सिर्फ़ अमेरिका को जाता है। यह एक बड़ा हिस्सा है। रातोंरात बढ़ती लागत के कारण, कई निर्यातकों को ऑर्डर रद्द होने या कीमतें कम करने के दबाव का सामना करना पड़ सकता है। वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों के पास अब मूल्य निर्धारण के मामले में बढ़त हासिल है क्योंकि उन पर शुल्क कम है।’’
उसने कहा, ‘‘हालांकि, गुणवत्ता के मामले में भारत अब भी बांग्लादेश और कंबोडिया से आगे है, लेकिन इस कदम से हमारे निर्माताओं, खासकर छोटे निर्माताओं पर वास्तविक दबाव पड़ता है। अब समय आ गया है कि हम सिर्फ़ अमेरिका से आगे देखें और अन्य बाज़ारों में और अधिक आक्रामक तरीके से प्रवेश करें।’’
पीटीआई-भाषा से बात करते हुए, भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी ने कहा कि हम जुर्माने को लेकर ‘बेहद चिंतित’ हैं, क्योंकि इससे उन निर्यात ऑर्डर देने वालों के लिए स्पष्टता का अभाव पैदा हो गया है, जिन्हें अगले कुछ महीनों में पूरा किया जाना है।
चटर्जी ने कहा, ‘‘हम पर इसका गंभीर असर पड़ेगा। हममें से ज़्यादातर लोगों ने 25 प्रतिशत शुल्क को गंभीरता से नहीं लिया है, लेकिन जुर्माने को लेकर हम बेहद चिंतित हैं।’’
उनके अनुसार, वियतनाम पर भारत की तुलना में कम शुल्क है, जो 20 प्रतिशत है, जबकि इंडोनेशिया को अमेरिका से 19 प्रतिशत आयात शुल्क का सामना करना पड़ता है।
चटर्जी ने कहा कि भारतीय निर्यातक ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे वैकल्पिक बाजारों में और अधिक आक्रामक तरीके से प्रवेश कर सकते हैं।
आरएसडब्ल्यूएम लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक राजीव गुप्ता ने कहा, ‘‘एक और गंभीर चिंता रूस के साथ भारत के संबंधों से जुड़ा जुर्माने का खंड है, जो अनिश्चितता की एक परत जोड़ता है।’’
गुप्ता ने कहा, ‘‘भारतीय उद्यमी और निर्माता जुझारू हैं, और हमें विश्वास है कि योजनाबद्ध रणनीतियों के साथ व्यापार की गति लगातार बढ़ती रहेगी। चीन के खिलाफ शुल्क की स्थिति पर स्पष्टता सबसे महत्वपूर्ण है।’’
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