(तालीम अंसारी)
मालेगांव, 31 जुलाई (भाषा) उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में चाय की एक छोटी-सी दुकान में लगी दीवार घड़ी पर समय मानो थम-सा गया है। इसकी टूटी हुई सुइयां मौत और दहशत की दर्दनाक कहानी बयां करती हैं।
यह घड़ी उस समय क्षतिग्रस्त हो गई थी, जब 29 सितंबर 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में चाय की दुकान के पास विस्फोटकों से लदी एक मोटरसाइकिल में विस्फोट हो गया था। उस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 अन्य घायल हो गए थे।
लगभग 35 साल पुरानी चाय दुकान के मालिक जलील अहमद को आज भी उस विस्फोट का भयानक मंजर याद है।
वह कहते हैं कि हालांकि यह घड़ी अब काम नहीं करती, फिर भी वह उस दुखद दिन की मूक गवाह के रूप में दीवार पर लगी हुई है।
अहमद के मुताबिक, “दूर-दूर से लोग आते हैं और इस दीवार घड़ी की तस्वीर खींचकर साथ ले जाते हैं। आगंतुकों में कुछ विदेशी भी शामिल हैं।”
उन्होंने कहा, “विस्फोट में छह लोगों की जान चली गई थी। यह घड़ी उसी पल यानी (29 सितंबर 2008 को) रात्रि 9:35 बजे से बंद पड़ी हुई है। विस्फोटक में लोहे के छर्रे थे और टुकड़े इतने बड़े थे कि घड़ी की सुई टूट गई। आप जो भी छेद देख रहे हैं, वे छर्रों से बने थे और दीवार में छेद भी छर्रों के कारण ही हुए थे।”
अहमद के अनुसार, यह घड़ी उनकी दुकान पर आने वाले लोगों का ध्यान खींचती है।
उन्होंने कहा, “घड़ी को यहां टांगे रखने का मकसद यह है कि लोग आएं और सबूत मांगें, इसलिए हमने इसे उसी जगह पर टांगे रखा है। हम इसे साफ करके वापस टांग देते हैं। लोग दूर-दूर से आते हैं और कई लोग घड़ी की तस्वीरें लेते हैं। कुछ विदेशी आगंतुक भी आए हैं और इसकी तस्वीरें ली हैं।”
उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत के लगभग 17 साल बाद मुंबई की एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ “कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं” है।
भाषा पारुल अविनाश
अविनाश