मुंबई, 31 जुलाई (भाषा) मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी किया जाना राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक ‘‘महत्वपूर्ण विफलता’’ है, जिसने अपने बयान से पलटने वाले गवाहों के खिलाफ झूठी गवाही का आरोप नहीं लगाया। पीड़ितों के वकील ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
अधिवक्ता शाहिद नदीम ने कहा कि पीड़ितों के रिश्तेदार विशेष एनआईए अदालत के फैसले के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे।
कुछ पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले नदीम ने कहा, ‘‘यह मामला एनआईए की ओर से महत्वपूर्ण विफलताओं को उजागर करता है… प्रभावी रणनीति का अभाव प्रतीत होता है। मुकदमे के दौरान गवाह अपने बयान से पलट गए, फिर भी पीड़ितों के अनुरोध के बावजूद एनआईए ने उनमें से किसी के खिलाफ झूठी गवाही का आरोप नहीं लगाया।’’
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पीड़ित अब भी उस सदमे से नहीं उबर पाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वे न्याय पाने के लिए दृढ़ हैं और फैसले की समीक्षा के बाद बंबई उच्च न्यायालय में एक स्वतंत्र अपील दायर करके कानूनी उपाय अपनाएंगे।’’
वकील ने दावा किया कि मालेगांव कस्बे का कोई भी गवाह या पिछली जांच एजेंसी – महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा पेश किया गया कोई भी गवाह अपने बयान से नहीं पलटा।
नदीम ने कहा, ‘‘एक वकील के रूप में (जो रोजाना सुनवाई में शामिल होता था) मेरा मानना है कि यदि एनआईए ने पीड़ितों की चिंताओं को प्राथमिकता दी होती तो वह बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी।’’
उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत के लगभग 17 साल बाद मुंबई की एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ ‘‘कोई विश्वसनीय एवं ठोस सबूत नहीं’’ है।
भाषा
शुभम नेत्रपाल
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