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Saturday, August 2, 2025

जनता ने इतना बड़ा अवसर दिया है, नारेबाजी और तख्तियों से मत गंवाओ: बिरला की विपक्षी सांसदों को नसीहत

Newsजनता ने इतना बड़ा अवसर दिया है, नारेबाजी और तख्तियों से मत गंवाओ: बिरला की विपक्षी सांसदों को नसीहत

नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ही बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर लोकसभा में हंगामा कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों को नसीहत देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि जनता ने आपको इतना बड़ा अवसर दिया है, इसे नारेबाजी करके और तख्तियां दिखाकर मत गंवाइए।

मानसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी और आज सदन की कार्यवाही का 10वां दिन है। सदन में इस दौरान केवल दो दिन, मंगलवार और बुधवार को प्रश्नकाल निर्बाध तरीके से पूरा चला। सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने संबंधी सांविधिक संकल्प को मंजूरी के अलावा अन्य कोई महत्वपूर्ण विधायी कामकाज नहीं हो सका।

शुक्रवार को भी कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसद एसआईआर के मुद्दे पर नारेबाजी करने लगे। वे सदन में इस विषय पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। उनके हंगामे के कारण बैठक कुछ ही मिनट में दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई और प्रश्नकाल नहीं चल सका।

बैठक स्थगित करने की घोषणा से पहले अध्यक्ष बिरला ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से आग्रह किया, ‘‘सदन की गरिमा को बनाकर रखिए। प्रश्नकाल बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। आप नारेबाजी और तख्तियों से अन्य सदस्यों का अधिकार नहीं छीन सकते। यह गलत तरीका, गलत आचरण और गलत व्यवहार है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप नारेबाजी करके, तख्तियां लहरा कर जनता की अभिव्यक्ति नहीं कर रहे। जनता ने आपको जो इतना बड़ा अवसर दिया है, उसे नारेबाजी और तख्तियों से मत गंवाओ।’’

बिरला ने कुछ नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि इतने वरिष्ठ सदस्य होने के नाते यह तरीका उचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि अगर लोकतंत्र को मजबूत करना है तो सदस्यों को प्रश्न उठाने देने होंगे जिस पर सरकार की जवाबदेही तय होगी।

बिरला ने प्रदर्शन कर रहे सांसदों से कहा, ‘‘मेरा रोज आपसे आग्रह रहता है कि सदन की कार्यवाही को चलने दें। सासदों को प्रश्न उठाने दें। लोगों की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं पूरी होने दें और देश को आगे बढ़ाने में सहयोग दें। देश में हो रहे परिवर्तन के बारे में यहां अपनी बात रखें।’’

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

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