नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) उपग्रहों के माध्यम से मौसम, वर्षा, मृदा नमी संकेत तथा सूखा सूचकांक के बारे में जानकारी देकर कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौसम संबंधी ये आंकड़े विशेष रूप से आंध्र प्रदेश के रायलसीमा जैसे क्षेत्रों में मौसम विसंगतियों की समय से पहचान करने, फसल की स्थिति की निगरानी और सूखे की गंभीरता के आकलन में मदद करते हैं।
उन्होंने बताया कि इसरो ने ‘नेशनल एग्रीकल्चरल ड्रॉट असेसमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम’ (एनएडीएएमएस) विकसित किया है, जो मौसम, दूर संवेदन और ‘फील्ड डेटा’ पर आधारित एक प्रणाली है।
सिंह ने बताया कि इसरो ने राष्ट्रीय स्तर का एक भू-स्थानिक सूखा मूल्यांकन पोर्टल भी तैयार किया है, जो उपग्रह और मौसम आंकड़ों के आधार पर आंध्र प्रदेश और रायलसीमा सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहा है।
उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों में रबी के सीजन के दौरान सूखा संबंधी जोखिम का मानचित्रण करने के बाद सूखे के जोखिम वाले जिलों की पहचान की गई तथा लक्षित सूखा प्रबंधन रणनीति तैयार की गई है।
सिंह ने बताया कि इसरो कृषि उत्पादन संबंधी पूर्वानुमान और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए भी तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसरो ने अभी तक सूखे के पूर्वानुमान और शमन के लिए विशिष्ट तकनीक विकसित नहीं की है, लेकिन ‘राष्ट्रीय कृषि सूखा आकलन एवं निगरानी प्रणाली’ (एनएडीएएमएस) आधारित पोर्टल के माध्यम से जिला और तहसील स्तर पर सूखा स्थितियों का समय रहते आकलन संभव हो सका है।
मंत्री ने बताया कि इसरो द्वारा ‘सुफलाम’ (अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का खाद्य सुरक्षा कृषि आकलन एवं निगरानी के लिए उपयोग) कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य उपग्रह, ड्रोन और सेंसर के माध्यम से कृषि संबंधी परामर्श, कीट चेतावनी और सटीक खेती समाधान विकसित करना है।
भाषा मनीषा अविनाश
अविनाश