जयपुर, 1 अगस्त — राजस्थान की राजनीति में इन दिनों एक सवाल हर तरफ़ चर्चा में है: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अचानक फिर से इतने सक्रिय क्यों हो गए हैं? वे न तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी में किसी आधिकारिक भूमिका में हैं, और न ही विधानसभा में सत्ताधारी हैं, फिर भी लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे हैं, जनसभाएं कर रहे हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर विपक्ष की भूमिका में बेहद आक्रामक दिखाई दे रहे हैं।
गहलोत की सक्रियता: चुनाव के बाद भी ज़ोरदार मौजूदगी
कांग्रेस की राजस्थान इकाई में जहां अन्य नेता अपेक्षाकृत शांत हैं, वहीं अशोक गहलोत की सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा सक्रियता देखने को मिल रही है। हर दिन भजनलाल शर्मा सरकार की नीतियों पर तीखी प्रतिक्रियाएं, जनसंपर्क वीडियो, और जमीनी मुद्दों पर सवाल गहलोत के पोस्ट से लगातार वायरल हो रहे हैं।
“मैं तो NSUI के समय से ही सक्रिय हूं” — गहलोत का जवाब
बीकानेर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान गहलोत ने इस सवाल का जवाब कुछ इस अंदाज में दिया:
देखिए भाई साहब, जब से मैंने राजनीति शुरू की है NSUI से, उस दिन से लेकर आज तक मैं हमेशा एक्टिव रहा हूं। यह मेरी आदत है, मेरी फितरत है।
गहलोत ने यह भी कहा कि सत्ता में रहें या न रहें, उन्होंने हमेशा जनता से जुड़ाव बनाए रखा है।
हर दिन जयपुर स्थित मेरे घर पर 100–200 लोग आते हैं। उन्हें विश्वास है कि मैं उनकी बात सुनूंगा और समझूंगा।
क्या कोई नई राजनीतिक भूमिका की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अशोक गहलोत की बढ़ती सक्रियता कई संदेश दे रही है:
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क्या वे दिल्ली में बड़ी भूमिका की ओर बढ़ रहे हैं?
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क्या कांग्रेस आलाकमान के प्रति निष्ठा दिखाकर संगठन में फिर से मजबूत स्थिति बनाना चाहते हैं?
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या फिर वे राजस्थान की राजनीति में पीछे छूटने से इनकार कर रहे हैं?
कांग्रेस में कोई बेचैनी नहीं
गहलोत ने अटकलों को दरकिनार करते हुए कहा:
कांग्रेस में कोई बेचैनी नहीं है। क्यों होगी बेचैनी? हमारे नेता जनता से मिल रहे हैं, दौरे कर रहे हैं, यह तो खुशी की बात है।
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