श्रीनगर, एक अगस्त (भाषा) श्रीनगर में नौ दिवसीय ‘चिनार पुस्तक महोत्सव’ का दूसरा संस्करण शनिवार को शुरू होगा और इसमें देश भर से 200 से अधिक प्रकाशकों समेत ‘बुक स्टॉल’ शामिल होंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इस महोत्सव का उद्घाटन करेंगे।
डल झील के किनारे स्थित एसकेआईसीसी में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा आयोजित यह महोत्सव दो अगस्त को शुरू हो रहा है, जिसका समापन 10 अगस्त को होगा।
आयोजकों ने बताया कि पिछले वर्ष इसके उद्घाटन संस्करण को मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद, इस वर्ष का संस्करण अब विभिन्न भाषाओं के साहित्य को और भी व्यापक उत्सव के रूप में प्रदर्शित करने का वादा करता है।
उन्होंने कहा कि महोत्सव में पुस्तकों का व्यापक चयन, विविध कार्यक्रम और नए साहित्यिक स्वरों की भागीदारी होगी, जिसका उद्देश्य पूरे क्षेत्र में पढ़ने की संस्कृति को और अधिक सशक्त बनाना तथा संवाद, खोज और सामुदायिक सहभागिता के लिए एक जीवंत मंच प्रदान करना है।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आयोजकों ने कहा कि नौ दिवसीय महोत्सव में देश भर से 200 से अधिक प्रकाशक और ‘बुक स्टॉल’ शामिल होंगे, जो अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, कश्मीरी और अन्य भारतीय भाषाओं में किताबें प्रदर्शित करेंगे।
उन्होंने कहा कि बच्चों की पुस्तकों और शैक्षणिक कार्यों से लेकर क्षेत्रीय साहित्य और डिजिटल सामग्री तक, यह मेला सभी उम्र के पाठकों के लिए समृद्ध और समावेशी चयन की पेशकश का वादा करता है।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक युवराज मलिक ने कहा, ‘‘इस साल इसका आयोजन पारंपरिक पुस्तक प्रदर्शनी से आगे बढ़कर इस महोत्सव को बौद्धिक जुड़ाव, सांस्कृतिक संवाद और शैक्षिक संवर्धन के लिए एक मंच के रूप में स्थापित कर रहा है।’’
मलिक ने कहा, ‘‘इस महोत्सव में प्राचीन शारदा लिपि पर एक राष्ट्रीय प्रदर्शनी और पहली गोजरी अनुवाद कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी, जिसमें हिंदी, उर्दू, डोगरी, कश्मीरी और अंग्रेजी में द्विभाषी पुस्तकें होंगी, जिससे भाषाई विविधता और समावेश को बढ़ावा मिलेगा।’’
उन्होंने कहा कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत तमिल-कश्मीरी संवाद एक प्रमुख सांस्कृतिक आकर्षण होगा, जो दोनों क्षेत्रों के बीच साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं पर केंद्रित होगा।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में प्रतिदिन तीन सत्र होंगे, जिसमें सुबह बच्चों की गतिविधियों का सत्र, दोपहर में पुस्तक विमोचन, लेखकों और लेखकों के बीच बातचीत तथा शाम को कलात्मक प्रदर्शन जिसमें स्थानीय कलाकार प्रस्तुति देंगे।
मलिक ने बताया कि महोत्सव में सभी के लिए प्रवेश निःशुल्क है और पुस्तकों की खरीद पर विशेष छूट दी जाएगी।
राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद के निदेशक शम्स इकबाल ने कहा कि यह महोत्सव एक ऐतिहासिक पहल है जो जम्मू कश्मीर में पुस्तकों की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक नया आयाम गढ़ेगी।
भाषा यासिर नरेश
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