नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान को घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया। साथ ही कहा कि भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी उच्च शुल्क का सीमित प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ने की आशंका है।
फिच ने अप्रैल में अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
फिच ने शुक्रवार को जारी अपनी ‘इंडिया कॉरपोरेट क्रेडिट ट्रेंड्स’ रिपोर्ट में कहा, ”हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि 6.3 प्रतिशत रहेगी। बुनियादी ढांचे पर मजबूत खर्च के चलते सीमेंट और निर्माण सामग्री, बिजली, पेट्रोलियम उत्पाद, इस्पात और इंजीनियरिंग एवं निर्माण (ईएंडसी) कंपनियों की अच्छी मांग को बल मिलेगा।”
फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि मार्च 2026 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में उसकी रेटिंग वाली भारतीय कंपनियों के ऋण मानकों में सुधार होगा, क्योंकि व्यापक ईबीआईटीडीए (कर पूर्व आय) मार्जिन उनके उच्च पूंजीगत व्यय को संतुलित कर देगा।
अमेरिकी शुल्क के प्रभाव पर, फिच ने कहा कि उसे अपनी रेटिंग वाली भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी उच्च शुल्क से ”सीमित प्रत्यक्ष प्रभाव” की उम्मीद है, क्योंकि उनका अमेरिकी निर्यात जोखिम आम तौर पर कम से मध्यम है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कुछ मामलों में अतिरिक्त आपूर्ति से दूसरे स्तर के जोखिम पैदा हो सकते हैं।
फिच ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता भी अंतिम परिणाम को प्रभावित कर सकता है, और कंपनियां निर्यात में विविधता लाकर शुल्क के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर सकती हैं।
भाषा पाण्डेय रमण
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