नयी दिल्ली/हैदराबाद, एक अगस्त (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने तेलंगाना में पिछली बीआरएस सरकार के दौरान हुए करोड़ों रुपये के कथित भेड़ पालन और वितरण घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में छापेमारी के बाद 200 से अधिक ‘म्यूल’ बैंक खातों से संबंधित पासबुक, डेबिट कार्ड और चेक बुक जब्त कर ली हैं।
‘म्यूल’ बैंक खाते ऐसे बैंक खाते होते हैं, जिनका इस्तेमाल अपराधी खाताधारक की जानकारी के बिना या कभी-कभी उसकी मिलीभगत से अवैध धन लेन-देन या धनशोधन के लिए करते हैं।
ईडी के मुताबिक, जिन बैंक खातों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वे एक अवैध सट्टेबाजी ऐप से जुड़े हुए हैं।
जांच एजेंसी ने दावा किया कि उसने ऐसी सामग्री भी बरामद की है, जिससे संकेत मिलता है कि कुछ सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों को “रिश्वत” दी जा रही थी।
यह जांच दिसंबर 2023 में तेलंगाना पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की ओर से दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है। एसीबी ने फरवरी 2024 में चार सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।
तेलंगाना की पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार ने अप्रैल 2017 में राज्य में भेड़ पालन विकास योजना (एसआरडीएस) पेश की थी, जिसका मकसद चरवाहा परिवारों को स्थायी आजीविका प्रदान करना और उनकी आय बढ़ाना था।
ईडी ने 30 जुलाई को हैदराबाद में कथित घोटाले के लाभार्थियों और इसमें शामिल बिचौलियों से जुड़े लगभग आठ ठिकानों पर तलाशी ली थी, जिसमें बीआरएस सरकार में पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री रहे तलसानी श्रीनिवास यादव के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) जी कल्याण का परिसर भी शामिल था। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले के तहत की गई थी।
एसीबी की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि 2023 में राज्य में नयी सरकार के गठन के बाद, ओएसडी कल्याण ने विभाग के कार्यालय में अवैध रूप से घुसकर कुछ रिकॉर्ड हटा दिए थे।
ईडी के अनुसार, एक भेड़ व्यापारी की ओर से एक अन्य प्राथमिकी दर्ज कराई गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि विभाग के सहायक निदेशकों ने भेड़ इकाइयों को आपूर्ति के बदले में उन्हें (भेड़ व्यापारियों को) अदा किए जाने वाले 2.1 करोड़ रुपये हड़प लिए।
केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि एसआरडीएस के तहत लाभार्थियों के लिए भेड़ों की आपूर्ति के बदले कई व्यक्तियों/संस्थाओं के बैंक खातों में “पर्याप्त” धनराशि स्थानांतरित की गई थी।
उसने कहा कि एसआरडीएस के शुरू होने से पहले ये लाभार्थी भेड़ों की बिक्री या आपूर्ति के व्यवसाय में शामिल नहीं थे और संबंधित धनराशि के प्राप्तकर्ताओं ने कभी भी इस श्रेणी के पशुधन की बिक्री या खरीद नहीं की थी।
ईडी के मुताबिक, जांच से पता चला कि सरकारी धन को “अवैध रूप से” फर्जी विक्रेताओं के बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया था।
एजेंसी के अनुसार, मार्च-2021 को समाप्त अवधि के लिए नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट में एसआरडीएस योजना के कार्यान्वयन में कई अनियमितताएं पाई गईं, जिनमें लाभार्थीवार विवरण न दर्ज किया जाना, परिवहन लागत सहित अन्य भुगतान का अनुचित रिकॉर्ड, फर्जी वाहन/यात्री वाहन/गैर-परिवहन वाहन पंजीकरण संख्या वाले वाहनों के लिए भुगतान, भेड़ इकाइयों को डुप्लिकेट टैग का आवंटन और मृत/अस्तित्वहीन व्यक्तियों को भेड़ इकाइयों का आवंटन आदि शामिल है।
ईडी ने कहा कि कैग की ऑडिट रिपोर्ट केवल सात जिलों (तेलंगाना के 33 में से) तक सीमित है, जिसमें सरकार को अनुमानित 253.93 करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही गई है।
जांच एजेंसी ने दावा किया, “तेलंगाना राज्य के सभी 33 जिलों के लिए आनुपातिक आधार पर, नुकसान 1,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की आशंका है।”
ईडी ने कहा कि उसकी जांच से कैग ऑडिट के निष्कर्षों की भी पुष्टि हुई है।
उसने कहा कि एक परिसर से अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी एप्लीकेशन से जुड़े 200 से अधिक संदिग्ध ‘डमी/म्यूल’ खातों से संबंधित खाली चेक बुक, पासबुक और डेबिट कार्ड सहित कई बैंक खातों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
ईडी ने बताया कि छापेमारी के दौरान 31 मोबाइल फोन और 20 से अधिक सिम कार्ड भी जब्त किए गए।
भाषा पारुल नरेश
नरेश