देहरादून, एक अगस्त (भाषा) देशभर में पिछले पांच सालों में हुए हेलीकॉप्टर हादसों में जान गंवाने वाले अधिकांश लोग उत्तराखंड के हैं क्योंकि ज्यादातर हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं इसी राज्य में घटीं। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से यह जानकारी दी ।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में चारधाम यात्रा मार्ग पर हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं और आपात लैंडिंग की घटनाएं चिंताजनक रूप से बार-बार हो रही हैं और इस साल मई और जून के बीच पांच हादसे दर्ज किए गए ।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहाल द्वारा हाल में राज्यसभा में दिए एक बयान का हवाला देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने कहा,‘‘पिछले पांच वर्षों में भारत में हुई सभी हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं और मौतों में से लगभग दो-तिहाई उत्तराखंड में हुई हैं। देश भर में दर्ज 12 बड़ी हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में से सात उत्तराखंड में हुईं और इन दुर्घटनाओं में जिन 30 लोगों की दुखद मौत हुई उनमें से 21 अकेले उत्तराखंड के हैं।
नौटियाल ने पहाड़ी राज्य में हवाई सुरक्षा परिदृश्य पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों से मानव जीवन को सर्वोपरि रखने की अपील की है।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा में रखे गए आंकड़े एक स्पष्ट और चिंताजनक संकेत हैं कि हम अपना हेलीकॉप्टर संचालन खासतौर से चार धाम यात्रा के दौरान कैसे करते हैं और उसमें बुनियादी रूप से कुछ गलत है।’’
नौटियाल ने आरोप लगाया कि संबंधित अधिकारियों को इसकी कमियों के बारे में जानकारी है लेकिन वे उन्हें ठीक करने के लिए कोई ध्यान नहीं देते क्योंकि उनका मुख्य उददेश्य पर्यटकों की संख्या के नए रिकॉर्ड स्थापित करना है ।
उन्होंने दावा किया कि नागरिक उड्डयन महानिदेशक, उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा), राज्य सरकार और राज्य के हवाई क्षेत्र के अन्य हितधारकों को समस्या के बारे में पता है और हवाई सुरक्षा की दिशा में काम करने के बारे में उनके पास पर्याप्त विचार हैं।
नौटियाल ने कहा, ‘‘हो यह रहा है कि वहन क्षमता और सुरक्षा प्रोटोकॉल के प्रति बहुत कम ध्यान दिए जाने तथा चार धाम यात्रा और अन्य धार्मिक त्योहारों के दौरान आने वाले लोगों की संख्या का नया रिकॉर्ड स्थापित करने की अंधी दौड़ में पूरी व्यवस्था अपनी क्षमता से कहीं अधिक लोगों को समायोजित करने में जुट जाती है।’’
समाधान उन्मुख द्रष्टिकोण की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में पहला कदम सभी हेलीपैड और हवाई संचालन का 360 डिग्री राज्य स्तरीय ऑडिट, वहन क्षमता पर गंभीरता से पुनर्विचार, विमानन ऑपरेटरों और जिला प्रशासनों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए तथा उससे भी बढ़कर संख्या और रिकॉर्ड से पहले जीवन को प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उकाडा और अन्य हितधारकों से इसे न केवल संकट की तरह देखने बल्कि इस पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है ।
भाषा दीप्ति संतोष
संतोष