नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क का भारत पर खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि अधिकांश भारतीय वस्तुएं पहले से ही अमेरिकी शुल्क छूट की श्रेणी में आती हैं। सरकार से जुड़े सूत्रों ने शुक्रवार को यह अनुमान जताया।
इसके साथ ही भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी व्यापार समझौते में कृषि, डेयरी और आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) खाद्य उत्पादों पर कोई शुल्क रियायत नहीं देगा।
सूत्रों के मुताबिक, भारत के कुल निर्यात का बड़ा हिस्सा पहले ही अमेरिकी सरकार की तरफ से ‘सेक्शन 232’ के तहत दी जाने वाली छूट के दायरे में आता है। ऐसे में उन उत्पादों पर बढ़ा हुआ शुल्क लागू नहीं होगा।
सूत्रों ने कहा, ‘भारत से अमेरिका को होने वाले आधे से अधिक निर्यात इस शुल्क वृद्धि से अप्रभावित रहेंगे। नई शुल्क नीति से लगभग 40 अरब डॉलर के निर्यात पर ही असर पड़ने की आशंका है।’
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर रहा था। इसमें भारत से निर्यात 86.5 अरब डॉलर जबकि अमेरिका से आयात 45.3 अरब डॉलर था।
सूत्रों ने कहा कि अमेरिका के डेयरी उद्योग में पशु चारे का इस्तेमाल होने की वजह से भारत के लिए उन पर शुल्क सब्सिडी दे पाना संभव नहीं होगा।
सूत्र ने कहा, ‘डेयरी क्षेत्र में धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं। ऐसी स्थिति में अमेरिकी डेयरी उत्पाद स्वीकार्य नहीं किए जाएंगे।’
उन्होंने कहा कि भारत ने अब तक किसी भी व्यापार समझौते में डेयरी उत्पादों पर शुल्क छूट नहीं दी है। इन संवेदनशील क्षेत्रों पर कोई समझौता नहीं होगा।
भारत और अमेरिका के बीच मार्च से द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। अब तक पांच दौर की वार्ता पूरी हो चुकी है और छठा दौर 25 अगस्त से शुरू होने वाला है।
हालांकि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के पहले अंतरिम समझौता करने की कोशिश में थे लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन पाई और अमेरिका ने 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है।
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