अंबिकापुर/कोरबा, एक अगस्त (भाषा) छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पिछले दो दिनों में हाथियों के हमले की अलग-अलग घटनाओं में पिता-पुत्री समेत चार लोगों की मौत हो गई है। वन विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि पड़ोसी कोरबा जिले में एक हाथी की भी करंट लगने से मौत हो गई, जब वह कथित तौर पर बोरवेल मशीन चलाने के लिए अवैध रूप से बिछाए गए तार के संपर्क में आ गया।
उन्होंने बताया कि पहली घटना में, 30 जुलाई (बुधवार) की सुबह बकीला गांव में एक जंगली हाथी घर में घुस गया और सनमेत बाई नामक एक महिला को कुचलकर मार डाला।
अधिकारियों ने बताया कि उसका पति नेहरू कंवर मौके से भागने में सफल रहा।
उन्होंने बताया कि एक अन्य घटना में, 30 जुलाई की शाम को लुंड्रा वन क्षेत्र के अंतर्गत बेवरा गांव में एक जंगली हाथी ने राम कोरवा (60) और उसकी बेटी प्यारी (35) को मार डाला, जब वे खेती के काम से घर लौट रहे थे।
अधिकारियों ने बताया कि दोनों ने भागने की कोशिश की, लेकिन हाथी ने उनका पीछा किया,और उन्हें ज़मीन पर पटक दिया तथा कुचलकर मार डाला।
उन्होंने बताया कि तीसरी घटना बृहस्पतिवार सुबह लुंड्रा वन क्षेत्र से लगभग 65 किलोमीटर दूर सीतापुर वन क्षेत्र के देवगढ़ गांव में हुई।
अधिकारियों ने बताया कि मृतक, जिसकी पहचान मोहर साईं साईंराम (55) के रूप में हुई है, अपने धान के खेत में गया था, तभी उसका सामना दो हाथियों से हो गया। इनमें से एक हाथी ने उस पर हमला कर दिया तथा उसे कुचलकर मार डाला।
उन्होंने बताया कि एक अन्य घटना में कोरबा में, कुदमुरा वन क्षेत्र के अंतर्गत बैगमार जंगल में बिजली का झटका लगने से एक हाथी की मौत हो गई। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
कोरबा वन मंडल के अधिकारी (डीएफओ) कुमार निशांत ने बताया कि 37 हाथियों का एक झुंड इलाके में घूम रहा था और बृहस्पतिवार की रात में उनमें से एक नर हाथी की करंट लगने से मौत हो गई।
अधिकारी ने बताया कि इसकी सूचना मिलने पर वन अधिकारियों की एक टीम आज सुबह मौके पर पहुंची।
उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान, बैगामार निवासी तीन संदिग्धों (कृष्ण राम राठिया, बाबूराम राठिया और टीकाराम राठिया) ने पूछताछ के दौरान वन अधिकारियों को बताया कि उन्होंने एक बोरवेल चलाने के लिए अवैध रूप से बिजली का तार बिछाया था।
उन्होंने बताया कि तीनों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है।
राज्य के उत्तरी भाग में मानव-हाथी संघर्ष पिछले एक दशक से चिंता का एक प्रमुख कारण रहा है, जबकि पिछले कुछ वर्षों में यह खतरा मध्य क्षेत्र के कुछ जिलों में भी फैल गया है।
इस खतरे का सामना करने वाले जिले मुख्य रूप से सरगुजा, रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर और बलरामपुर हैं।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में राज्य में हाथियों के हमलों में 320 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं।
भाषा सं संजीव
संतोष
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