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नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि आज के इस अनिश्चित समय और तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य में गतिशीलता एवं नवीनता की भावना के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने सैन्य तैयारियों को बढ़ाने के लिए नागरिक-सैन्य तालमेल को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया।
यहां डीआरडीओ भवन में 84वें सशस्त्र बल मुख्यालय (एएफएचक्यू) सिविलियन सेवा दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अनिश्चित समय में, ‘‘अनिश्चितता पर कोई नियंत्रण नहीं है और हमारा नियंत्रण केवल हमारी तैयारियों पर है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘आज हम यह आकलन नहीं कर सकते कि दुनिया के जो हिस्से शांतिपूर्ण हैं, वहां भविष्य में शांति नहीं होगी। तीन-चार महीने पहले क्या हमने सोचा था कि हमें इतनी जल्दी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभियान चलाना पड़ेगा?’’
मंत्री ने याद दिलाया कि उन्होंने सेना प्रमुखों के साथ अपनी बैठकों में हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि ‘‘हमें हमेशा तैयार रहना होगा’’।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि युद्ध की तैयारी शांति के समय में की जानी चाहिए।’’
सिंह ने अपने संबोधन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मिली सफलता के लिए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस), तीनों सेना प्रमुखों और रक्षा सचिव की सराहना की।
उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के एक दिन बाद 23 अप्रैल को एक बैठक हुई थी जिसमें सीडीएस, तीनों सेना प्रमुख, रक्षा सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मौजूद थे।
राजनाथ ने कहा कि उस बैठक में उन्होंने उनसे पूछा था कि ‘क्या आप किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार हैं’ और उन सभी ने कहा था, ‘हां’।
इस मौके पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी. कामत और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
मंत्री ने रक्षा मंत्रालय के विभिन्न विभागों द्वारा सशस्त्र बलों को प्रदान किए गए समर्थन की प्रशंसा की, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के लिए महत्वपूर्ण था।
सिंह ने कहा, ‘‘नागरिक और सैन्यकर्मियों के बीच तालमेल बढ़ाने पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। आज के समय में नागरिक-सैन्य तालमेल का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि आज की दुनिया बहुत अनिश्चित हो गई है।’’ उन्होंने कहा कि इससे सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में भी मदद मिलेगी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जब भी सशस्त्र बल युद्ध लड़ते हैं, तो उनके पराक्रम को पूरे देश का समर्थन प्राप्त होता है। उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध में आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। हम इसे समझते हैं।’’
उन्होंने कहा कि आज के तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य में, बदलती जरूरतों के अनुसार निरंतर सुधार करते हुए गतिशीलता और नवीनता की भावना के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
सिंह ने कहा, ‘‘हम थोड़ी सी भी लापरवाही या गलती की गुंजाइश नहीं छोड़ सकते।’’
रक्षा मंत्री ने इस मौके पर संयुक्त सचिव एवं मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कार्यालय की पुनर्विकसित वेबसाइट की शुरुआत की, जो कर्मचारियों और आम जनता को कार्यालय से संबंधित सभी प्रासंगिक जानकारी प्रदान करेगी।
सिंह ने ‘विकसित भारत@2047: कार्मिकों के विचार’ पुस्तक और ‘संवाद’ पत्रिका का भी विमोचन किया।
‘विकसित भारत@2047’ पुस्तक में सेना मुख्यालयों और अंतर-सेवा संगठनों में तैनात विभिन्न रैंकों के कर्मचारियों द्वारा लिखे गए 40 लेख शामिल हैं। ये लेख विकसित भारत से संबंधित विभिन्न विषयों जैसे डिजिटलीकरण, नयी शिक्षा नीति 2020, कृत्रिम मेधा, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, हरित ऊर्जा और गरीबी उन्मूलन पर आधारित हैं।
एएफएचक्यू दिवस एक अगस्त को मुख्य रूप से तीन एकीकृत सेवा मुख्यालयों, मुख्यालय आईडीएस और रक्षा मंत्रालय के 24 अंतर-सेवा संगठनों में सेवा कर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले असैन्य कर्मियों की भूमिका के सम्मान में मनाया जाता है।
भाषा
देवेंद्र नेत्रपाल
नेत्रपाल