नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने कथित एयरसेल मैक्सिस और आईएनएक्स मीडिया घोटालों से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में आरोपी कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम को इस साल के अंत में यूरोप की यात्रा करने की शुक्रवार को अनुमति दे दी। अदालत ने इसे संविधान में प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया।
विशेष न्यायाधीश दिग्विनय सिंह ने कार्ति चिदंबरम को सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन की यात्रा करने की अनुमति दी और कहा कि चिदंबरम को पहले भी विभिन्न अवसरों पर विदेश यात्रा की अनुमति दी गई थी और उस स्वतंत्रता के किसी भी तरह से दुरुपयोग का कोई मामला नहीं था।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘विदेश यात्रा के अधिकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू माना गया है और सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, याचिकाकर्ता को इस अधिकार से वंचित करने का कोई कारण नहीं है। पहले भी याचिकाकर्ता को विदेश यात्रा की अनुमति दी गई थी और उन्होंने इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया था। मुझे वर्तमान आदेश में मामले के विस्तृत तथ्यों का उल्लेख नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये अनावश्यक हैं।’’
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी द्वारा अदालत के समक्ष एक करोड़ रुपये की सावधि जमा रसीद (एफडीआर) पहले ही प्रस्तुत की जा चुकी है और इसे सुरक्षा जमा के रूप में रिकॉर्ड में रखा जाएगा।
न्यायाधीश ने चिदंबरम पर कई शर्तें भी लगाईं, जिनमें यह भी शामिल है कि वह विदेश में कोई बैंक खाता नहीं खोलेंगे या बंद नहीं करेंगे, विदेश यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का संपत्ति लेनदेन नहीं करेंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या किसी भी तरह से मामलों के गवाहों को प्रभावित करने का कोई प्रयास नहीं करेंगे।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2011 में 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने से जुड़े कथित घोटाले में कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था। उस समय कार्ति चिदंबरम के पिता पी. चिदंबरम केंद्रीय गृहमंत्री थे।
ईडी ने इसी सिलसिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।
दूसरा मामला एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
मंजूरी 2006 में दी गई थी जब पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे।
सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री रहते हुए, पी. चिदंबरम ने अपनी क्षमता से परे जाकर इस सौदे को मंजूरी दी, कुछ लोगों को लाभ पहुंचाया और रिश्वत ली।
भाषा अमित सुरेश
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