नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने शुक्रवार को अंतरिक्ष की अपनी यात्रा को भारत की ‘‘दूसरी कक्षा’’ की शुरुआत बताया, जिसका उद्देश्य मानव अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में अग्रणी बनना है।
ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, शुक्ला और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के ‘एक्सिओम-4 मिशन’ के उनके सह-यात्रियों ने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में रहने और मानवता की मदद करने वाले प्रयोगों के अपने अनुभव साझा किए।
शुक्ला ने कहा, ‘‘अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे क्षेत्र में, दशकों के वैश्विक सहयोग में, इस मिशन में मेरे लिए जो क्षण उल्लेखनीय था, वह भारत के प्रधानमंत्री से बात करना था, जबकि मेरे पीछे भारतीय ध्वज लहरा रहा था।’’
उन्होंने कहा कि यह क्षण भारत के पुनः इस वार्तालाप में शामिल होने का प्रतीक है, एक दर्शक के रूप में नहीं, बल्कि एक समान भागीदार के रूप में।
शुक्ला ने कहा, ‘‘41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में लौटा है। लेकिन इस बार यह कोई अकेली छलांग नहीं थी, बल्कि भारत की दूसरी कक्षा की शुरुआत थी। और इस बार हम न सिर्फ उड़ान भरने के लिए, बल्कि नेतृत्व करने के लिए भी तैयार हैं।’’
वर्ष 1984 में सोवियत रूसी मिशन के तहत राकेश शर्मा के अंतरिक्ष में जाने के बाद शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बन गये।
भारत 2027 में अपना मानव अंतरिक्ष-उड़ान मिशन ‘गगनयान’ प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है।
उन्होंने सरकार, इसरो, भारतीय वायु सेना और नासा को उनके अटूट समर्थन, समन्वय और मिशन में विश्वास के लिए धन्यवाद दिया, जिसके कारण उनके लिए एक संदेशवाहक के रूप में अंतरिक्ष की यात्रा करना संभव हो पाया।
शुक्ला ने कहा कि वह देशभर से मिले प्यार और समर्थन से अभिभूत हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जो प्यार और समर्थन मिला, उसके लिए मैं पहले से तैयार नहीं था।’’
भाषा देवेंद्र दिलीप
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