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Saturday, August 2, 2025

भारत का लक्ष्य वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में 8 से 10 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करना: नारायणन

Newsभारत का लक्ष्य वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में 8 से 10 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करना: नारायणन

(के प्रवीण कुमार)

तिरुवनंतपुरम, एक अगस्त (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र अगले 10 वर्षों में वैश्विक वाणिज्यिक अंतरिक्ष बाजार में 8 से 10 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है और इसके लिए अभी बहुत काम करने की आवश्यकता है। यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने शुक्रवार को यहां कही।

नारायणन ने ‘पीटीआई-वीडियो’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि भारत को बुनियादी ढांचे, उद्योग-आधारित विकास और विनिर्माण क्षमताओं में सुधार करने की आवश्यकता है।

वर्तमान में, वैश्विक वाणिज्यिक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से भी कम है।

नारायणन ने कहा, ‘‘अपनी गतिविधियों के शुरुआती चरण में, हम व्यावसायिक पहलू पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे थे। लेकिन आज, हम व्यावसायिक क्षेत्र में हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत के ‘वनवेब इंडिया मिशन’ ने देश की व्यावसायिक विश्वसनीयता को बेहतर बनाने में मदद की है – एक परियोजना जिसे यूक्रेन युद्ध के बाद भू-राजनीतिक कारणों से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया था।

नारायणन ने कहा, ‘‘एक रॉकेट का इस्तेमाल करके हमें 36 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करना था। कक्षा में कुछ सेंटीमीटर का अंतर लाना कोई आसान काम नहीं है। हमने एक अनूठी योजना के जरिए इसे पूरा किया और एक व्यावसायिक रूप से सफल मिशन का प्रदर्शन किया। इसने पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्चर्यचकित कर दिया।’’

उन्होंने कहा कि भारत अब तक 14 वाणिज्यिक प्रक्षेपण कर चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐसा देश जिसके पास 50 साल पहले उपग्रह तकनीक, प्रक्षेपण यान तकनीक या ऐप्लीकेशन-उन्मुख क्षमता नहीं थी, आज 32 देशों के लिए 433 उपग्रह प्रक्षेपित कर चुका है। इसलिए, हम इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं।’’

नारायणन ने कहा कि इसरो जल्द ही अपने मार्क तीन रॉकेट का उपयोग करके अमेरिका से 6,500 किलोग्राम का एक वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपित करेगा, जो नासा के साथ समन्वय में भारत द्वारा किए जा रहे तीन मिशन में से अंतिम है।

भारत ने 30 जुलाई को मार्क दो एफ16 रॉकेट का उपयोग करके नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एनआईएसएआर) उपग्रह को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। यह अब तक का सबसे महंगा उपग्रह है।

इसरो अध्यक्ष ने कहा कि जब से प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार शुरू किए हैं, तब से क्षमता निर्माण में लगातार वृद्धि हो रही है।

नारायणन ने कहा, ‘‘दस साल पहले, अंतरिक्ष क्षेत्र में मुश्किल से एक स्टार्टअप काम कर रहा था। आज, इस क्षेत्र में 300 से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं की मांग सभी क्षेत्रों में बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, पहले अगर कोई कृषि ऋण के लिए बैंक जाता था, तो अधिकारियों को जमीन और उगाई जा रही फसलों का भौतिक सत्यापन करना पड़ता था। अब, वे वास्तविक समय में आंकड़े का आकलन कर सकते हैं। इसी तरह, सूखे की स्थिति में, भौतिक सर्वेक्षणों के बजाय, घर के अंदर से ही वास्तविक समय में आकलन किया जा सकता है।’’

नारायणन ने कहा, ‘‘वास्तविक समय में आँकड़े का काफी संसाधन हो रहा है और पाँच सेंटीमीटर तक के रिज़ॉल्यूशन वाला डेटा मुफ़्त में उपलब्ध है। लोग इस डेटा को संसाधित कर सकते हैं और कई उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि अन्य देश भारत की तकनीकी प्रगति को पहचानते हुए अब अपनी अंतरिक्ष आवश्यकताओं के लिए भारत की ओर रुख कर रहे हैं।

नारायणन ने कहा, ‘‘यह मत सोचिए कि भारत 1947 वाला भारत है। आज, हम एक अंतरिक्ष-यात्रा करने वाला, गतिशील राष्ट्र हैं। उदाहरण के लिए, पिछले महीने की 30 तारीख को, हमने नासा के 10,300 करोड़ रुपये मूल्य के एनआईएसएआर उपग्रह का प्रक्षेपण किया। नासा प्रक्षेपण के लिए भारत आया था। यह हमारी तकनीकी क्षमता, प्रगति और हमारे लोगों के काम करने की सटीकता को दर्शाता है। यही बात दूसरे देशों को हमारे पास आने के लिए प्रेरित कर रही है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रंप प्रशासन के तहत जारी व्यापार प्रतिबंध और शुल्क नीतियां भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग को प्रभावित कर सकती हैं, नारायणन ने कहा कि यह विषय उनकी ‘‘विशेषज्ञता के क्षेत्र’’ से बाहर है।

इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘तकनीकी रूप से, हम एक उन्नत अवस्था में हैं। इसलिए हमने जो भी अनुबंध किए हैं, हम उन्हें क्रियान्वित करेंगे। मैं केवल इसी पर टिप्पणी कर सकता हूँ।’’

भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का स्वागत करते हुए नारायणन ने कहा कि इसरो अकेले बढ़ती बाजार मांग को पूरा नहीं कर सकता और निजी क्षेत्र की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं इसरो में शामिल हुआ था, तब हर तीन साल में एक प्रक्षेपण होता था। इस साल, हमारी योजना हर महीने एक प्रक्षेपण करने की है। अब, आप पूछ सकते हैं कि हमें इतने सारे प्रक्षेपणों की आवश्यकता क्यों है? अब तक, हमने 132 उपग्रह विकसित किए हैं, जिनमें से 55 वर्तमान में कक्षा में हैं और इस देश के लोगों की सेवा कर रहे हैं।’’

नारायणन ने कहा, ‘‘ये सेवाएं राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। क्या आप जानते हैं कि इसके लिए कितने उपग्रहों की आवश्यकता है? दो साल पहले, हमारे समकक्षों ने एक ही वर्ष में 100 उपग्रह स्थापित किए थे। उपग्रह प्रौद्योगिकी की माँग बहुत अधिक है।’’

उन्होंने अनुमान लगाया कि अगले तीन वर्षों में, इसरो को माँग को पूरा करने के लिए कक्षा में वर्तमान संख्या से तीन गुना अधिक उपग्रहों की आवश्यकता हो सकती है।

नारायणन ने कहा, ‘‘इसरो अकेले ऐसा नहीं कर सकता। यह एक सरकारी संगठन है। पिछले 10 वर्षों में, हमारी जनशक्ति में पांच प्रतिशत से भी कम की वृद्धि हुई है। इसलिए निजी क्षेत्र को बड़े पैमाने पर आगे आने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा कि वर्तमान मांग के आधार पर, भारत को देश की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रति माह तीन रॉकेट प्रक्षेपित करने चाहिए।

भाषा अमित नेत्रपाल

नेत्रपाल

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