रायपुर, एक अगस्त (भाषा) छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सली हिंसा में पति को खोने वाली सोडी हुंगी को राज्य सरकार की ‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण, पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति’ के तहत पक्का मकान पाने वाली पहली लाभार्थी बनी हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर केंद्र सरकार से प्राप्त 15 हजार प्रधानमंत्री आवासों की विशेष स्वीकृति के अंतर्गत सुकमा जिले के ओईरास गांव में रहने वाली सोडी हुंगी को पक्का मकान मिला है।
उन्होंने बताया कि यह राज्य में नक्सल पीड़ित परिवारों एवं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए संचालित विशेष परियोजना के अंतर्गत तैयार होने वाला पहला मकान है, जो सरकार की पीड़ित परिवार के पुनर्वास की दिशा में बड़ी उपलब्धि भी है।
अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2005 में सोडी हुंगी के पति मासा सोडी को मुखबिर होने के संदेह में धारदार हथियार से हमला कर मौत के घाट उतार दिया गया था।
उन्होंने बताया कि अत्यंत गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली सोडी हुंगी वर्षों तक कच्चे घर में रहने को मजबूर थी।
अधिकारी ने बताया कि ग्राम पंचायत गादीरास ने वर्ष 2024-25 में विशेष परियोजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में पात्र पाए जाने पर सोडी हुंगी का नाम प्रस्तावित किया गया।
उन्होंने बताया कि प्रस्ताव स्वीकृत होने पर लाभार्ती के खाते में चरणबद्ध रूप से तीन किस्तों में कुल एक लाख 35 हजार की राशि जारी की गई।
अधिकारियों ने बताया कि शासन की पारदर्शी प्रक्रिया, तकनीकी मार्गदर्शन और समय-समय पर की गई निगरानी के कारण आठ जुलाई 2025 को आवास निर्माण कार्य पूरा हुआ, जिसके बाद सोडी हुंगी अपने परिवार के साथ मकान में रहने लगी।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ सोडी हुंगी को अन्य योजनाओं का भी लाभ प्राप्त हुआ है, जिनमें स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण की स्वीकृति, मनरेगा के तहत 90 दिवस की मानव मजदूरी का भुगतान, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ शामिल है।
सोडी हुंगी के बेटों ने कहा कि उनका परिवार आज सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी पा रहा है तथा यह सब जिला प्रशासन, ग्राम पंचायत और प्रधानमंत्री आवास योजना की बदौलत संभव हुआ है।
उन्होंने कहा, “हम मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और केंद्र सरकार के आभारी हैं, जिन्होंने नक्सल पीड़ितों और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए इतनी संवेदनशील और प्रभावी नीति बनाई है।”
भाषा संजीव संतोष जितेंद्र
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