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Saturday, August 2, 2025

धरती पर जीवन के साथ फिर से तालमेल बिठा रहे शुभांशु शुक्ला

Newsधरती पर जीवन के साथ फिर से तालमेल बिठा रहे शुभांशु शुक्ला

नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) ‘एक्सिओम-4’ मिशन से लौटने के कुछ सप्ताह बाद अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने शुक्रवार को धरती पर जीवन के साथ तालमेल बिठाने के अपने अनुभव साझा किए।

उन्होंने बताया कि कैसे अंतरिक्ष से लौटने पर उन्हें मोबाइल फोन भी भारी लगने लगा था और उन्होंने यह सोचकर अपना लैपटॉप नीचे गिरा दिया था कि वह अंतरिक्ष की तरह तैरेगा।

डिजिटल माध्यम से प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए शुक्ला और उनके ‘एक्सिओम-4’ मिशन के सहयोगियों ने अपने 20 दिवसीय अंतरिक्ष मिशन और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 18 दिन के प्रवास के अनुभव साझा किए।

शुक्ला ने कहा, ‘‘41 साल बाद कोई भारतीय फिर से अंतरिक्ष में गया। लेकिन इस बार यह कोई अकेली छलांग नहीं थी, बल्कि भारत की दूसरी कक्षा की शुरुआत थी। इस बार हम न सिर्फ उड़ान भरने के लिए, बल्कि नेतृत्व करने के लिए भी तैयार हैं।’’

वर्ष 1984 में सोवियत रूस मिशन के तहत राकेश शर्मा के अंतरिक्ष में जाने के बाद शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बन गए।

शुक्ला का ‘एक्सिओम-4’ मिशन 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुआ और 15 जुलाई को धरती पर वापस लौटा।

लखनऊ में जन्मे अंतरिक्ष यात्री ने कहा कि पूरे अंतरिक्ष प्रवास के दौरान सबसे यादगार पल वह था जब 28 जून को उन्होंने ‘‘भारत के प्रधानमंत्री’’ से बात की और उनके पीछे तिरंगा लहरा रहा था।

शुक्ला ने कहा, ‘‘वह पल भारत के इस संवाद में एक दर्शक के रूप में नहीं, बल्कि एक समान भागीदार के रूप में फिर से शामिल होने का प्रतीक था।’’

पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के साथ खुद को फिर से ढालने के अपने अनुभव को साझा करते हुए शुक्ला ने उस पल को याद किया जब उन्होंने तस्वीरें लेने के लिए फोन मांगा था और वह उन्हें हाथ में कितना भारी लगा था।

शुक्ला ने कहा, ‘‘जैसे ही मैंने फोन पकड़ा, मुझे लगा कि यह भारी है। वही फोन जिसे हम दिन भर पकड़े रहते हैं, मुझे सचमुच बहुत भारी लगा।’’

उन्होंने एक और उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘मुझे अपने लैपटॉप पर कुछ काम करना था। मैं अपने बिस्तर पर बैठा था और मैंने अपना लैपटॉप बंद करके बिस्तर के किनारे रख दिया। मैंने सोचा कि वह मेरे बगल में तैर जाएगा, इसलिए मेरा लैपटॉप गिर गया। शुक्र है कि फर्श पर कालीन बिछा हुआ था, इसलिए कोई नुकसान नहीं हुआ।’’

शुक्ला ने कहा कि 20 दिन का यह मिशन उनकी उम्मीदों से बढ़कर था और उन्होंने बहुत कुछ सीखा जो भारत को उसके गगनयान मिशन में मदद करेगा।

उन्होंने अपनी भूमिका को न केवल एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में बल्कि ‘‘संभावनाओं को दिखाने वाले एक संदेशवाहक’’ के रूप में बताया।

शुक्ला ने कहा कि उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए सभी ‘होमवर्क’ पूरे कर लिए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम जो कुछ भी वहां कर रहे थे, मुझसे उसका दस्तावेजीकरण करने के लिए कहा गया था। मैं आपको विश्वास दिला सकता हूं कि मैंने यह बहुत अच्छी तरह से किया है। मैं वापस आकर अपने कार्यक्रम के साथ यह सब साझा करने के लिए उत्साहित हूं। मुझे विश्वास है कि यह सारा ज्ञान हमारे अपने ‘गगनयान’ मिशन के लिए बेहद उपयोगी और महत्वपूर्ण साबित होगा।’’

शुक्ला ने कहा कि उनके मिशन की सफलता के परिणाम दिखने लगे हैं क्योंकि स्वदेश में बच्चे पूछने लगे हैं कि वे अंतरिक्ष यात्री कैसे बन सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह इस मिशन की एक बड़ी सफलता है क्योंकि मानव अंतरिक्ष यान मिशनों का एक प्रमुख उद्देश्य युवा पीढ़ी को प्रेरित करना और उन्हें यह विश्वास दिलाना है कि वे भी खोजकर्ता बन सकते हैं। मुझे लगता है कि यह आंशिक रूप से पहले ही हासिल हो चुका है। मैं इस मिशन के परिणाम से बेहद खुश हूं।’’

शुक्ला के अगस्त के मध्य में भारत लौटने की उम्मीद है।

भाषा सुरभि नेत्रपाल

नेत्रपाल

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