नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) रेटिंग एजेंसी इक्रा ने शनिवार को कहा कि भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क घरेलू वाहन कलपुर्जा उद्योग और टायर विनिर्माताओं को जापान, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे एशियाई समकक्षों की तुलना में प्रतिकूल स्थिति में डाल देता है, जहां शुल्क कम है।
अमेरिकी प्रशासन ने सात अगस्त से भारत से आने वाले सभी उत्पादों पर शुल्क लगाने की घोषणा की है।
इसमें कहा गया, “भारतीय आयात पर अमेरिका द्वारा 25 प्रतिशत शुल्क लगाने से भारत के वाहन और टायर उद्योग में चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि दोनों ही उद्योग अमेरिकी बाजार में पर्याप्त निर्यात जोखिम रखते हैं।”
इक्रा ने कहा कि भारत के वाहन कलपुर्जा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत और टायर निर्यात में 17 प्रतिशत है, इसलिए शुल्क में बढ़ोतरी से भारतीय विनिर्माताओं को जापान, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे एशियाई समकक्षों की तुलना में नुकसान होगा, जहां कम या तरजीही शुल्क लागू हैं।
इसमें कहा गया है कि खासकर ऑफ-हाइवे और सिर्फ टायर खंड में, और विभिन्न वाहन कलपुर्जा में शुल्क में बढ़ोतरी से भारतीय आपूर्तिकर्ताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है।
हालांकि, पहले भारतीय टायर निर्यातकों को चीनी प्रतिस्पर्धियों पर मामूली बढ़त हासिल थी, लेकिन अब अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को दी जाने वाली कम शुल्क दरों से यह बढ़त कम हो सकती है।
वाहन कलपुर्जा निर्यातकों, विशेष रूप से अमेरिकी बाजार पर अत्यधिक निर्भर निर्यातकों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने भौगोलिक क्षेत्रों में विविधता लाएं और लागत दक्षता में सुधार करके इस प्रभाव को कम करें।
वाहन कलपुर्जा उद्योग ने पिछले वित्त वर्ष (2024-25) के लिए 80.2 अरब डॉलर (6.73 लाख करोड़ रुपये) का कारोबार दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय