अमरेली (गुजरात), तीन अगस्त (भाषा) गुजरात के अमरेली जिले के एक गांव के बाहरी इलाके में एक शेरनी मृत पाई गई। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब स्थानीय नेताओं ने क्षेत्र में शेरों की मौत पर चिंता जताई है और वन विभाग से जांच का आग्रह किया है कि क्या इन मौतों का कारण कोई गंभीर वायरस का प्रकोप तो नहीं है।
वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि वयस्क शेरनी शनिवार को मंदारडी गांव के बाहरी इलाके में एक खेत में मृत पाई गई। उसकी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई।
उन्होंने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए बाबरकोट पशु केंद्र ले जाया गया, जहां पुष्टि हुई कि शेरनी की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई।
स्थानीय नेताओं ने वन विभाग से इस बात की गहन जांच करने का आग्रह किया कि मौत कहीं कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) जैसे किसी गंभीर वायरस के प्रकोप के कारण तो नहीं हो रही।
सीडीवी के कारण अतीत में कई शेरों की मौत हो चुकी है। लोगों को आशंका है कि हाल में हुई मौतें भी इसी कारण हुई होंगी। हालांकि वन विभाग ने इस आशंका को खारिज कर दिया है।
धारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक जे वी काकडिया ने वन मंत्री मुलु बेरा को लिखे एक पत्र में यह मुद्दा उठाया।
काकडिया ने कहा कि शेत्रुंजी और गिर पूर्व वन प्रभागों के क्षेत्र में हाल में हुई शेरों की मौत चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले दो शेर शावकों की मौत शायद किसी वायरस के कारण हुई।
उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘वन विभाग का काम संतोषजनक नहीं लगता। एशियाई शेर केवल हमारे गिर क्षेत्र में पाए जाते हैं और उनका संरक्षण और सुरक्षा न केवल वन विभाग बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी चिंता का विषय है।’
शेत्रुंजी वन्यजीव प्रभाग के उप वन संरक्षक (डीसीएफ) धनंजय साहू ने बताया कि जाफराबाद रेंज से लगभग चार महीने के दो शेर शावकों को बचाया गया था, क्योंकि वे कमज़ोर पाए गए थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, जिसका मुख्य कारण एनीमिया या निमोनिया था।
भाषा आशीष अमित
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