राज्य में हालिया अतिवृष्टि ने एक ओर जहां किसानों की कमर तोड़ दी है, वहीं आम आदमी की रसोई पर भी इसका सीधा असर पड़ा है। लगातार बारिश के चलते हरी सब्जियों की फसलें खराब हो गई हैं, जिससे आपूर्ति बाधित हुई है और दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं।
सब्जियों के दाम आम आदमी की पहुंच से बाहर
सब्जी मंडियों में प्याज, भिंडी, लौकी, परवल, हरी मिर्च जैसी रोजाना इस्तेमाल होने वाली सब्जियां अब आम उपभोक्ता की थाली से गायब होती जा रही हैं। टमाटर का भाव 80 रुपए प्रति किलो के पार पहुंच चुका है, जिससे घर की चटनी और सब्जियों का स्वाद भी फीका हो गया है। लहसुन 160 रुपए प्रति किलो, अदरक 120, बैंगन और पत्ता गोभी 60, खीरा 50, फूलगोभी, मिर्च, नींबू और अरबी 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।
बिक्री में 50% तक गिरावट, विक्रेता परेशान
स्थानीय सब्जी मंडी अध्यक्ष श्यामलाल सैनी ने बताया कि बारिश और मौसम में आए बदलाव के चलते फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे मंडियों में सब्जी की आपूर्ति घट गई है और दामों में तेजी आई है। उन्होंने बताया, “पहले एक ग्राहक 200-300 रुपए की खरीद करता था, अब यह घटकर 50-100 रुपए तक रह गई है। इसका सीधा असर व्यापार पर पड़ा है।”
किसानों की लागत नहीं निकल रही
सब्जी उत्पादन में वृद्धि के बजाय मौसम की मार, कीट रोगों और लगातार बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसान बताते हैं कि उत्पादन लागत के मुकाबले उन्हें पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
गृहिणियां भी चिंतित, विकल्पों की ओर रुख
महिलाओं का कहना है कि हर हफ्ते बढ़ते दामों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। अब वे आलू, प्याज और बेसन जैसे सस्ते विकल्पों पर निर्भर हो रही हैं। “रोज़ का खाना बनाना मुश्किल हो गया है, समझ नहीं आता कि रसोई कैसे संभालें,” एक गृहिणी ने चिंता जताई।
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