बेंगलुरु, चार अगस्त (भाषा) कर्नाटक सरकार के साथ सोमवार को वार्ता विफल होने के बाद राज्य सरकार के स्वामित्व वाले परिवहन निगमों के कर्मचारी संघों ने पांच अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कर्मचारी संघों से अपना प्रदर्शन वापस लेने की अपील की है।
कर्मचारी संघ इस बात पर अड़े हैं कि उन्हें 38 महीने का बकाया भुगतान किया जाए और एक जनवरी, 2024 से वेतन वृद्धि लागू की जाए।
सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी और कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों के बीच अंतिम दौर की बैठक हुई, लेकिन कोई निर्णायक नतीजा नहीं निकला।
‘केएसआरटीसी स्टाफ एंड वर्कर्स फेडरेशन’ के अध्यक्ष एच वी अनंत सुब्बाराव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारी चर्चा 38 महीने के वेतन के बकाया और एक जनवरी, 2024 से वेतन वृद्धि पर हुई। अंत में, मुख्यमंत्री ने कहा कि वह दो साल का बकाया चुका देंगे और हमें शेष दो साल के बकाया पर दावा छोड़ने के लिए कहा। हम इसके लिए सहमत नहीं हुए। हमें 38 महीने का बकाया चाहिए।’’
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कर्मचारी संघों से अपना प्रदर्शन वापस लेने की अपील की है। सिद्धरमैया के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि विभिन्न परिवहन संघों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि आपसी बातचीत से मुद्दों का समाधान निकाला जा सकता है।
इस बीच, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्मचारी संघों से कहा कि वे अपनी नियोजित हड़ताल एक दिन के लिए स्थगित कर दें, ताकि यूनियन प्रतिनिधियों और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बीच बातचीत को पूरा होने का समय मिल सके।
सुनवाई के दौरान, पीठ ने चालक और परिचालक के वेतन संशोधन में लंबे समय से हो रही देरी पर सरकार से सवाल किया तथा उनके हितों की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की।
सरकारी वकील और कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) के प्रतिनिधियों ने अदालत को सूचित किया कि एक संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने हड़ताल की घोषणा की है, जबकि विवाद पर मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत सुलह की कोशिशें अब भी जारी हैं। जेएसी सभी चार राज्य-संचालित परिवहन निगमों के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती है।
भाषा आशीष नेत्रपाल
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