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Sunday, August 10, 2025

अमेरिकी शुल्क से रत्न, आभूषण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होगा, हजारों की आजीविका भी संकट में:जीजेईपीसी

Newsअमेरिकी शुल्क से रत्न, आभूषण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होगा, हजारों की आजीविका भी संकट में:जीजेईपीसी

मुंबई, सात अगस्त (भाषा) रत्न एवं आभूषण निर्यातकों के संगठन जीजेईपीसी ने बृहस्पतिवार को सरकार से इस उद्योग को समर्थन देने के लिए तत्काल नीतिगत सुधार करने का आग्रह किया। यह क्षेत्र अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत के भारी शुल्क के कारण चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रहा है।

जीजेईपीसी (रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद) के चेयरमैन किरीट भंसाली के अनुसार, अमेरिका भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र का सबसे बड़ा बाजार है, जिसका निर्यात 10 अरब डॉलर से अधिक का है, जो उद्योग के कुल वैश्विक व्यापार का लगभग 30 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सभी भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत के व्यापक शुल्क की घोषणा एक बेहद चिंताजनक घटनाक्रम है और इस कदम के भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे, महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होंगी, निर्यात ठप होगा और हजारों लोगों की आजीविका को खतरा होगा।

भंसाली ने कहा, ‘‘खासकर भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र पर इसका गंभीर असर पड़ेगा… इस पैमाने पर एकमुश्त शुल्क इस क्षेत्र के लिए बेहद विनाशकारी है।’’

उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा समय में अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भरता है, क्योंकि एसईईपीजेड सेज से होने वाला 85 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को होता है। एसईईपीजेड 50,000 रोजगार प्रदान करता है।

तराशे और पॉलिश किए हुए हीरों के लिए, भारत का आधा निर्यात अमेरिका को जाता है और संशोधित शुल्क वृद्धि के साथ, पूरा उद्योग ठप पड़ सकता है, जिससे छोटे कारीगरों से लेकर बड़े निर्माताओं तक, मूल्य श्रृंखला के हर हिस्से पर भारी दबाव पड़ेगा।

भंसाली ने कहा कि चिंता की बात यह है कि तुर्की, वियतनाम और थाइलैंड जैसे प्रतिस्पर्धी विनिर्माण केंद्र क्रमशः 15 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 19 प्रतिशत के काफी कम शुल्क का लाभ उठा रहे हैं, जिससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में अपेक्षाकृत कम प्रतिस्पर्धी हो गए हैं।

उन्होंने आगे कहा, ‘‘अगर इस असंतुलन को दूर नहीं किया गया, तो यह अमेरिका के लिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की दीर्घकालिक स्थिति को कमज़ोर कर सकता है। हम मेक्सिको, कनाडा, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात या ओमान जैसे कम शुल्क वाले गंतव्यों के माध्यम से व्यापार के मार्ग बदलने की संभावना को लेकर भी चिंतित हैं, जिससे वैध व्यापार की भावना कमज़ोर होगी और पारदर्शिता प्रभावित होगी।’’

जीजेईपीसी के चेयरमैन ने कहा कि घरेलू बाज़ार अगले दो वर्षों में बढ़कर 130 अरब रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे विशेष रूप से हीरा क्षेत्र को कुछ राहत मिलेगी।

इस बीच, जीजेईपीसी आगामी सऊदी अरब आभूषण प्रदर्शनी (एसएजेईएक्स) सहित कई पहल के माध्यम से नए बाज़ारों की सक्रिय रूप से खोज कर रहा है, जिससे उभरते क्षेत्रों में नए रास्ते खुलने और भारत के निर्यात गंतव्यों में विविधता आने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हम समझते हैं कि मौजूदा हालात में कोई व्यापार वार्ता नहीं हो सकती, फिर भी हम सरकार से तत्काल राहत देने का आग्रह करते हैं। हम इस असाधारण चुनौतीपूर्ण समय में उद्योग की सहायता के लिए नीतिगत सुधारों और व्यापक समर्थन की अपील करते हैं।’’

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

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