बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू के निष्कासन के बाद मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। राजस्थान जाट महासभा खुलकर विरोध में उतर आई है। बीजेपी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए है।
महासभा का कहना है कि पार्टी के 40 साल से सक्रिय कार्यकर्ता और नेता को एक तुच्छ वजह से निष्कासित करना सही नहीं है, बल्कि इसके पीछे और कारण छिपे हैं। राजस्थान जाट महासभा के महासचिव महेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया है कि केके जानू के निष्कासन के पीछे वजह उनका वह बयान था, जिसमें उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को सम्मानपूर्वक विदाई न दिए जाने का मुद्दा उठाया था।”
पूनिया को हटाया
महासभा ने कहा कि बीजेपी के इस कदम से यह संदेश जाता है कि जाट समाज पार्टी के लिए अस्वीकार्य है। उन्होंने दावा किया कि इससे पहले भी सतीश पूनिया को चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर उनका कद घटाने की कोशिश की गई, ताकि वे मुख्यमंत्री पद की दावेदारी न कर सकें।
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बीजेपी के सांसद और विधायक चुप क्यों
महासभा ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अंतिम यात्रा पर राजकीय सम्मान न देने का मुद्दा भी उठाया। प्रवक्ता ने सवाल किया कि इस मामले पर बीजेपी के सांसद, विधायक और नेता चुप क्यों हैं।
जाट समाज को पार्टी में दोयम दर्जे से क्यों देखा
राजस्थान जाट महासभा ने कहा है कि इस फैसले को समाज ने बड़ी गंभीरता से लिया है और यह सवाल खड़ा हुआ है कि प्रदेश में 110 विधानसभा क्षेत्रों और 16 लोकसभा क्षेत्रों में निर्णायक संख्या में मौजूद जाट समाज को पार्टी में दोयम दर्जे से क्यों देखा जाता है। महासभा ने आरोप लगाया कि जाट समाज की भूमिका को कमतर आंकने के कारण ही राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी को बारी-बारी से हार का सामना करना पड़ रहा है।
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