नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) किसी भी वरिष्ठ अधिवक्ता को सोमवार से प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अदालत के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने और सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं होगी।
उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, ‘निर्देशानुसार, नामित वरिष्ठ अधिवक्ताओं को 11 अगस्त, 2025 से प्रधान न्यायाधीश की अदालत के समक्ष किसी भी मामले का उल्लेख करने की अनुमति नहीं है।’
छह अगस्त को प्रधान न्यायाधीश ने कहा था कि 11 अगस्त से किसी भी वरिष्ठ अधिवक्ता को उनकी अदालत में तत्काल सूचीबद्ध और सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, ताकि कनिष्ठ अधिवक्ताओं को ऐसा करने का अवसर मिल सके।
चौदह मई को शपथ लेने वाले प्रधान न्यायाधीश गवई ने वकीलों द्वारा मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख करने की प्रथा को बहाल कर दिया था तथा अपने पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा अपनाई गई प्रथा को बंद कर दिया था।
न्यायमूर्ति खन्ना ने वकीलों द्वारा मामलों की तत्काल सुनवाई और सूचीबद्ध के लिए मौखिक रूप से निवेदन करने की प्रथा को बंद कर दिया तथा उन्हें इसके स्थान पर ईमेल या लिखित पत्र भेजने को कहा।
न्यायाधीश गवई ने छह अगस्त को कहा था, ‘इस बात की बहुत जरूरत है कि वरिष्ठ वकीलों द्वारा किसी भी मामले का उल्लेख न किया जाए।’
उन्होंने अदालत के कर्मचारियों से एक नोटिस जारी करने को कहा था कि सोमवार से उनकी अदालत में किसी भी वरिष्ठ वकील को तत्काल सूचीबद्ध और सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा था, ‘सोमवार से किसी भी वरिष्ठ वकील, मेरा मतलब है कि नामित वरिष्ठ वकील को मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कनिष्ठ वकीलों को ऐसा करने का अवसर दिया जाना चाहिए।’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा था, ‘कम से कम मेरी अदालत में तो इसका पालन किया जाएगा।’ उन्होंने यह भी कहा था कि उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों पर यह निर्भर करेगा कि इस प्रथा को अपनाया जाए या नहीं।
आमतौर पर वकील दिन की कार्यवाही की शुरुआत में प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अपने मामलों का उल्लेख करते हैं, ताकि मामलों को बारी से पहले सूचीबद्ध किया जा सके और तत्काल आधार पर सुनवाई की जा सके।
भाषा आशीष दिलीप
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