(जीवन प्रकाश)
नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) कानूनी और रेलवे विशेषज्ञों के एक वर्ग ने कहा कि मुख्य रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस) को अपना दशक पुराना वह परिपत्र वापस ले लेना चाहिए, जिसमें आयुक्तों से प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी करने से पहले रेल दुर्घटनाओं की जांच का मसौदा साझा करने को कहा गया था।
रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है जो स्वतंत्र रूप से रेल दुर्घटनाओं की जांच करता है। देश भर में रेल संचालन को नौ मंडलों में विभाजित किया गया है ताकि प्रत्येक सीआरएस का अधिकार क्षेत्र निर्धारित किया जा सके। इन सीआरएस का नेतृत्व एक सीसीआरएस करता है।
हाल में, उत्तरी मंडल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त दिनेश चंद देशवाल ने सीसीआरएस को पूर्व मसौदा प्रस्तुत करने के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया और इसे ‘‘कानून के विपरीत’’ बताया।
जब रेलवे अधिनियम, 1989 की उन धाराओं के बारे में पूछा गया जिनके तहत यह परिपत्र जारी किया गया था, तो सीसीआरएस जनक कुमार गर्ग के नयी दिल्ली स्थित कार्यालय ने कोई जवाब नहीं दिया।
‘पीटीआई-भाषा’ ने 22 जून, 2025 को पहली बार देशवाल द्वारा गर्ग को भेजे गए पत्र के बारे में खबर दी जिसमें उन्होंने परिपत्र का पालन करने से इनकार कर दिया था।
गर्ग के कार्यालय ने तब कहा था कि यह निर्देश पहली बार 2012 में सभी सीआरएस को जारी किया गया था, जिसमें उनसे पहली तीन दुर्घटनाओं की मसौदा जांच रिपोर्ट साझा करने को कहा गया था ताकि उन्हें जांच रिपोर्ट तैयार करने के प्रारूप को समझने में मदद मिल सके। उनके कार्यालय ने यह भी कहा कि यह आदेश रेलवे अधिनियम, 1989 के अनुरूप था।
हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सीआरएस के पास रेल दुर्घटनाओं की स्वतंत्र रूप से जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि ऐसे परिपत्र केवल परामर्श प्रकृति के होने चाहिए और वह भी तब, जब उनका उद्देश्य सीआरएस को जांच रिपोर्ट तैयार करने के प्रारूप को समझने में सहायता करना हो।
उन्होंने कहा कि न तो रेलवे अधिनियम और न ही रेलवे दुर्घटना नियमों की वैधानिक जांच नियमावली, सीसीआरएस को ऐसा परिपत्र जारी करने का अधिकार देती है। उनका मानना है कि यह रेलवे अधिनियम का उल्लंघन है।
उच्चतम न्यायालय के ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ अक्षत बाजपेयी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सीसीआरएस को मसौदा रिपोर्ट भेजने की आवश्यकता अनुचित लगती है। सीआरएस कुछ प्रकार की दुर्घटनाओं के लिए प्राथमिक जांच अधिकारी होता है और उनकी रिपोर्टों को सीसीआरएस द्वारा किसी पूर्व जांच की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट एक कथात्मक तथ्य-खोजी रिपोर्ट भी है, जिसके लिए अतिरिक्त जांच-पड़ताल की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए क्योंकि जांच करने के लिए अधिकृत अधिकारी को तथ्यों का स्वतंत्र और निष्पक्ष मूल्यांकन करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।’’
एक अन्य वरिष्ठ सरकारी वकील ने कहा कि यदि सीसीआरएस चाहता है कि नवनियुक्त सीआरएस अपनी रिपोर्ट सही प्रारूप में जारी करें, तो वह नियुक्ति प्रक्रिया में एक संक्षिप्त प्रशिक्षण मॉड्यूल शामिल कर सकते हैं।
अनुभवी रेलवे पेशेवर तथा ट्रेन 18 तथा वंदे भारत एक्सप्रेस के निर्माता सुधांशु मणि ने भी इस बात पर सहमति व्यक्त की कि सीसीआरएस का परिपत्र केवल एक मार्गदर्शक तंत्र के रूप में था, क्योंकि सीआरएस एक वैधानिक निकाय है, जिसे रेलवे अधिनियम के तहत स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
भाषा राजकुमार रंजन
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