नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से सोमवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के करीब दस मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
हंगामे की वजह से आज भी उच्च सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया।
बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उन्होंने कहा कि आठ अगस्त को सदन की बैठक में कुछ सदस्यों ने नियम 267 को लेकर दी गई आसन की व्यवस्था पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि वह यह बात सदस्यों के विवेक पर छोड़ते हैं कि वे आसन की व्यवस्था का पालन करेंगे, नियमावली का अध्ययन करेंगे और नियमों का पालन करेंगे।
हरिवंश ने बताया कि आज नियम 267 के तहत चर्चा के लिए 29 नोटिस मिले हैं। उन्होंने कहा कि ये नोटिस पांच विषयों पर हैं और 11 नोटिस में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है जिसके आधार पर उन्हें सदन में चर्चा की अनुमति दी जा सके।
उन्होंने कहा कि 18 नोटिस में जिन मुद्दों पर चर्चा की मांग की गई है वे अदालतों में विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी यह बताया जा चुका है कि अदालतों में विचाराधीन मुद्दों पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती।
हरिवंश ने कहा कि नियमों के अनुरूप नहीं पाए जाने की वजह से सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए गए हैं। उनके इतना कहते ही विपक्षी सदस्य सदन में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा के लिए हंगामा करने लगे। ये सदस्य ‘‘वोट की चोरी बंद करो’’ के नारे लगा रहे थे।
कुछ सदस्य अपने स्थानों से आगे आकर हंगामा करने लगे। कुछ सदस्यों ने बिल्ले पहने हुए थे जिस पर आपत्ति जताते हुए उपसभापति ने कहा ‘‘सदन में बिल्ले पहन कर आना सदन के कामकाज की संस्कृति के अनुरूप नहीं है। कृपया बिल्ले उतार कर आएं।’’
उन्होंने सदस्यों से शून्यकाल चलने देने की अपील करते हुए कहा कि शून्यकाल एवं प्रश्नकाल सदस्यों के लिए होते हैं जिसमें सरकार की जवाबदेही भी सुनिश्चित होती है।
हरिवंश ने कहा कि सदस्यों के पास आज तक 210 तारांकित प्रश्न पूछने का, शून्यकाल के तहत 210 मुद्दे उठाने का और विशेष उल्लेख के जरिये लोक महत्व के
210 मुद्दे उठाने का अवसर था। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन अब तक केवल 14 तारांकित प्रश्न पूछे गए हैं, शून्यकाल के तहत केवल पांच ही मुद्दे उठाए गए और विशेष उल्लेख के तहत लोकमहत्व से जुड़े केवल 17 मुद्दे ही उठाए जा चुके हैं।’’
उपसभापति ने कहा कि हंगामे की वजह से सदन का 62 घंटे और 25 मिनट का समय बर्बाद हो चुका है।
उन्होंने सदस्यों से शांत रहने, अपने स्थानों पर लौट जाने और शून्यकाल चलने देने की अपील दोहराई लेकिन सदन में व्यवस्था न बनते देख 11 बजकर 12 मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
भाषा मनीषा वैभव
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