नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) सरकार ने सोमवार को संसद को बताया कि देश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में 3,685 केंद्रीय संरक्षित स्मारक और स्थल हैं, जिनमें अल्पसंख्यक धरोहर स्थल, पूजा स्थल और तीर्थ स्थल शामिल हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाला एएसआई, केंद्रीय संरक्षित स्मारकों और स्थलों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है।
मार्च में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि देश में ‘‘राष्ट्रीय महत्व के घोषित 3698 स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष’’ हैं।
मंत्रालय और दिल्ली स्थित एएसआई के अधिकारियों ने कहा है कि एएसआई के अंतर्गत आने वाले स्थलों की सूची समय-समय पर ‘अद्यतित’ की जाती है।
प्राचीन स्मारक, पुरातात्विक स्थल और अवशेष जो एएसआई के अधीन हैं, उन्हें प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया जाता है।
सरकार ने 21 जुलाई को लोकसभा को सूचित किया था कि दिल्ली में ब्रिटिश अधिकारी जॉन निकलसन का एक स्मारक, हरियाणा में दो कोस मीनार और वाराणसी में पुराने ट्रेजरी भवन पर एक टैबलेट उन 18 स्मारकों में शामिल हैं जिन्हें हाल ही में संरक्षित स्थलों की सूची से हटा दिया गया है क्योंकि वे राष्ट्रीय महत्व के ‘नहीं’ रह गए हैं।
सोमवार को, मंत्री से पिछले दस वर्षों के दौरान किसी भी सरकारी योजना के तहत संरक्षण, जीर्णोद्धार या विकास के लिए चिह्नित अल्पसंख्यक विरासत स्थलों, पूजा स्थलों और तीर्थ स्थलों की संख्या और विवरण पूछा गया था।
शेखावत ने कहा, ‘‘देश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में 3,685 केंद्रीय संरक्षित स्मारक/स्थल हैं, जिनमें अल्पसंख्यक विरासत स्थल, पूजा स्थल और तीर्थ स्थल शामिल हैं। इन स्मारकों/स्थलों का संरक्षण एक नियमित प्रक्रिया है और राष्ट्रीय संरक्षण नीति, 2014 के दिशानिर्देशों के अधीन, संसाधनों की आवश्यकता और उपलब्धता के अनुसार किया जाता है।’’
अपने उत्तर में, उन्होंने इन स्मारकों और स्थलों के संरक्षण और विकास के लिए आवंटित धनराशि और किए गए व्यय का विवरण भी साझा किया।
भाषा वैभव माधव
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